बुधवार, 22 जून 2011

ग्रामीण चीन अब भी जीता है माओ की विरासत पर


चीन के नशान गांव में स्थित यह खुला रंगमंच दुनिया के बाकी रंगमंचों की माफिक है लेकिन हां, यहां हर रात अंधेरे में इस मंच पर देश के संस्थापक माओत्से तुंग की अगुवाई में हुआ सत्तारूढ सीपीसी का संघर्ष जीवित हो उठता है. रंगमंच के साथ एक विशाल झील लगी है और पहाडों के बीच फैला विशाल भूखंड है जो इसे अद्भुद बनाता है. कुओमिनतांग और स्थानीय जमींदारों के खिलाफ 1927 में माओ के शुरूआती संघर्ष की गाथा वाला नाटक हर रात यहां दिखाया जाता है । प्रकाश और आवाज के आधुनिक प्रभावों के इस्तेमाल से करीब 600 से ज्यादा अदाकार इस नाटक को रंगमंच पर उतारते हैं । ये कलाकार स्थानीय ग्रामीण होते हैं । माओ के संघर्ष को महसूस करने के लिए चीन के कोने कोने से हजारों की संख्या में दर्शक यहां पहुंचते हैं। माओ की भूमिका में मुख्य कलाकार नारा लगाते हैं, कामरेड...बेहतर कल के लिए अंतिम बार एक हो जाओ। यह संदेश देता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 62 साल के शासन के बाद भी क्रांति अभी पूरी नहीं हुई है । विदेशी मीडिया का वहां मार्गदर्शन कर रहे एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, हमारे क्रांतिकारी इतिहास के लिए यह एक कठिन समय है । हालांकि माओ को यहां साधारण मजदूरों के साथ समय बिताने के लिए भेजा गया था लेकिन माओ ने इस बात का ख्याल रखा कि उनकी शारीरिक सुरक्षा और जरूरतों का ख्याल रखा जाए।

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