शनिवार, 11 जून 2011

मारुति में हड़ताल, 390 करोड़ का नुकसान

मानेसर, हरियाणा . मारुति सुजुकी इंडिया के मानेसर कारखाने में हड़ताल शनिवार को आठवें दिन भी जारी है। हड़ताल पर हरियाणा सरकार के प्रतिबंध का असर कर्मचारियों पर नहीं पड़ा है। इस हड़ताल के कारण कंपनी को अब तक करीब 390 करोड़ रुपए के उत्पादन का नुकसान होने का अनुमान है। कारखाने के 2000 कर्मचारियों तथा प्रबंधन के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिये गुड़गांव के श्रम आयुक्त जेपी मान संबंधित पक्षों से बातचीत कर रहे हैं। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हड़ताल जारी है। स्थिति कल जैसी ही है, अब तक 7800 इकाइयों के उत्पादन का नुकसान हो चुका है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक मूल्य में यह नुकसान करीब 390 करोड़ रुपए का है। इस बीच, अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के नेता गुरुदास दासगुप्ता तथा डीएल सचदेव ने राष्ट्रीय राजधानी में हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रसिंह हुड्डा से भेंट की। दो दिन में यह उनकी दूसरी मुलाकात है। वे मामले के सौहार्दपूर्ण हल के लिए मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। सचदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सकारात्मक जवाब दिया है और हमसे कहा है कि उन्होंने श्रम मंत्री तथा श्रम आयुक्त से मामले को सुलझाने को कहा है। डीएल सचदेव ने कहा कि श्रम विभाग के अधिकारियों ने उनकी तरफ से बातचीत के लिए प्रतिनिधियों के नाम बताने तथा इस बारे में अधिकृत पत्र देने को कहा है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार ने कल हस्तक्षेप करते हुए हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया तथा मामले को श्रम अदालत में भेज दिया है। हड़ताल के कारण गुड़गांव-मानेसर औद्योगिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों में भी आंदोलन शुरू होने की आशंका के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है।
बहरहाल, आंदोलन का समर्थन कर रहे विभिन्न कंपनियों के कर्मचारियों पर सरकार के कदम का कोई असर नहीं हुआ है। कर्मचारियों की समिति ने कहा कि वे सोमवार से धरना तथा रैली समेत कई कदम उठाएंगे और अगर जरूरत पड़ी तो अपने-अपने कारखाने में हड़ताल करने पर विचार करेंगे।
मारुति सुजुकी के मानेसर कारखाने के करीब 2000 कर्मचारी चार जून से हड़ताल पर हैं। वे नए यूनियन मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन (एमएसईयू) को मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। इस यूनियन को मानेसर कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों ने बनाया है। मानसेर कारखाने में हर दिन दो पाली में लगभग 1200 वाहन बनते हैं।

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