रविवार, 12 जून 2011

समूची दुनिया में हो रही है पत्रकारों की हत्या

पाकिस्तानी पत्रकार सलीम शाहजाद और भारत के ज्योतिन्द्र डे की हत्या भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ अभिव्यक्ति के सिद्धांत पर अमल करते हुए हुई । डे और शाहजाद इस मुहिम में अकेले नहीं रहे, यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 से 2009 तक दुनिया में 247 पत्रकार सूचना क्रांति को आगे बढावा देते हुए कुर्बान हुए। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन :यूनेस्को: की रिपोर्ट के अनुसार, 2006 से 2009 के बीच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मुहिम को कलम के माध्यम से आगे बढाते हुए भारत में छह पत्रकार बलिदान हुए। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2006 में 69 पत्रकारों की हत्या हुई जिसमें सबसे अधिक 29 इराक, छह फिलिपीन, दो भारत, दो पाकिस्तान, तीन अफगानिस्तान, तीन रूस, चार श्रीलंका के थे । साल 2007 में सबसे अधिक 33 पत्रकार इराक में मारे गए जबकि सोमालिया में सात, अफगानिस्तान में दो तथा ब््रााजील, तुर्की, मैक्सिको में एक..एक पत्रकार कुर्बान हुए। साल 2008 में दुनिया में 49 पत्रकार मारे गए जिसमें 11 पत्रकार इराक में, जार्जिया में पांच, मैक्सिको और रूस में चार चार, फिलिपीन में तीन पत्रकार शामिल हैं । साल 2008 में भारत में भी चार पत्रकार चौथे स्तम्भ की रक्षा करते हुए शहीद हुए। साल 2009 में 77 पत्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मुहिम को आगे बढाते और भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ क्रांति की मशाल जलाते हुए मारे गए। इस वर्ष सबसे अधिक 34 पत्रकार फिलिपीन में मारे गए जबकि सोमालिया में सात, रूस में चार, मैक्सिको में सात, इराक में चार, अफगानिस्तान में चार पत्रकार मारे गए। यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन वर्षो में पत्रकारों की हत्या के मामलों से स्पष्ट है कि मीडिया से जुडे लोगों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये गए हैं। यह दुखद है कि पत्रकारों के खिलाफ हिंसक गतिविधियां लगातार बढ रही हैं। अगर इनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये गए तो पत्रकार ऐसे भ्रष्ट तत्वों का आसान निशाना बने रहेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, 2006 से 2009 के बीच पत्रकारों की हत्या के संबंध में बांग्लादेश, भारत, ब्राजील कोलंबिया, इक्वाडोर, अल साल्वाडो, ग्लाटेमाला, इंडोनेशिया, लेबनान, म्यामां, फलस्तीन, फिलिपीन, रूस, तुर्की ने न्यायिक जांच करायी। जबकि इराक, अफगानिस्तान, चीन, श्रीलंका आदि देशों में ऐसे मामलों की न्यायिक जांच नहीं करायी गई।

पत्रकार ज्योतिर्मय डे का मुंबई में अंतिम संस्कार

वरिष्ठ खोजी पत्रकार ज्योतिर्मय डे (५६) का आज घाटकोपर में अंतिम संस्कार कर दिया गया । डे की शनिवार को अज्ञात अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी । उनको श्रद्धांजलि देने के लिये महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री छगन भुजबल और बडी संख्या में मीडियाकर्मी इकट्ठा हुए थे । मिड डे में संपादक(स्पेशल इन्वेस्टीगेशन) डे की कल दोपहर पोवई में चार अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी । उन्होंने दो दशकों तक अपराध और अंडरवर्ल्ड कवर किया था । डे के परिवार में पत्नी शुभा शर्मा और मां हैं । भुजबल ने डे के परिजन को आश्वासन दिया कि अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा। भुजबल ने संवाददाताओं से कहा, यह काफी दुखद घटना है। हत्या की जांच अपराध शाखा की विशेष टीम कर रही है। वे तेल माफिया और अंडरवर्ल्ड से जुडे लोगों की संलिप्तता की भी जांच कर रहे हैं। इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने एक आपात बैठक बुलाई है जिसमें गृह मंत्री आर. आर. पाटिल और मुंबई के पुलिस आयुक्त अरूप पटनायक हिस्सा लेंगे । मीडियाकर्मियों ने और कडे कानून की मांग करते हुए कहा है कि पत्रकारों पर हमले को गैर जमानती अपराध बनाया जाए ।

पत्रकार हत्या पर मुख्यमंत्री का तीव्र जांच का आदेश

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आज मुम्बई के पुलिस आयुक्त अरूप पटनायक को वरिष्ठ पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या के मामले में दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने को कहा है। डे मिड डे में इंवेस्टिगेटिंव एडिटर के रूप में काम कर रहे थे । उनकी कल अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आज अपने आवास पर आपात बैठक बुलाई और जांच कार्यो की स्थिति का जायजा लिया। बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा राज्य के गृह मंत्री आर आर पाटिल, पुलिस आयुक्त पटनायक, संयुक्त सचिव :अपराध: हिमांशु राय और संयुक्त आयुक्त पुलिस :कानून एवं व्यवस्था: रजनीश सेठ शामिल हुए। बैठक बाद गृह मंत्री आर आर पाटिल ने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सरकार सभी आवश्यक उपाय करेगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषियों को पकडने के लिए विशेष पुलिस टीम बनायी गई है।

भारत में पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी दे स्थानीय सरकारें

वरिष्ठ खोजी पत्रकार की हत्या की कडे शब्दों में निंदा करते हुए जालंधर स्थित प्रेस क्लब के अध्यक्ष ने कहा है कि पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी स्थानीय सरकारें दे ताकि फिर से इस तरह के कृत्य न दोहराये जायें। जालंधर स्थित पंजाब प्रेस क्लब के अध्यक्ष आर एन सिंह ने आज यहां एक बयान जारी कर कहा कि मुंबई में पत्रकार की हत्या की जितनी निंदा की जाए कम है । उन्होंने कहा कि यह कायरतापूर्वक की गयी बर्बर कार्रवाई है । उन्होंने जोर देकर कहा कि जिस राज्य में पत्रकार काम करते हैं उसकी सुरक्षा की गारंटी देना वहां की सरकार की जिम्मेदारी है । इसके साथ ही उन्होंने पंजाब सरकार सहित देश की सभी राज्य सरकारों से अपील की कि वह पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी दे ।

पत्रकारों की हत्या की गुत्थी न सुलझाने वाले देशों में भारत भी

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्था की ओर से बनाए गए माफी सूचकांक 2011 के अनुसार पत्रकारों की हत्या की गुत्थी न सुलझा सकने वाले देशों में भारत 13वें स्थान पर आता है। सूचकांक के अनुसार भारत के पडोसी मुल्क पाकिस्तान 10वें और बांगलादेश 11वें स्थान पर है। मुंबई में एक वरिष्ठ संवाददाता की हत्या के साथ ही पत्रकारों की हत्या से जुडे मामलों के नहीं सुलझने की बात एक बार फिर सामने आ गयी है। सूचकांक में ऐसे देशोंं को शामिल किया गया है जहां एक जनवरी 2001 से 31 दिसंबर 2010 के बीच हुए पत्रकारों की हत्या के पांच या ज्यादा मामले अनसुलझे हैं। कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट :सीपीजे: की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सात अनसुलझे मामलों के साथ 13वें स्थान पर है। सीपीजे के अनुसार एक साल में पूरी दुनिया में होने वाले कार्य संबंधी हत्याओं में 70 प्रतिशत मामले पत्रकारों के हैं। सूचकांक में पत्रकारों की हत्या की अनसुलझी गुत्थियों का प्रतिशत वहां की जनसंख्या के अनुपात में निकाला गया है। सूचकांक में ऐसे मामलों को अनसुलझा माना गया है जिसमें अभी तक कोई आरोपी पकडा नहीं गया है। सूचकांक के मुताबिक इराक पहले स्थान पर है। वहां चल रहे विरोध प्रदर्शनों और खतरनाक अभियानों के दौरान बहुत ज्यादा संख्या में पत्रकारों की हत्या हुयी है। इराक में 92 मामले अभी तक अनसुलझे हैं जबकि फिलीपीन में इनकी संख्या 56 है। इराके के बाद फिलीपीन, श्रीलंका और कोलंबिया का स्थान आता है।

बढते हमलों के विरोध में नेपाल में पत्रकारों का प्रदर्शन

नेपाल में बढते हमलों के विरोध में आज सैंकडों पत्रकार सडक पर उतर आए। पत्रकारों ने काला फीता बांधकर विरोध दर्ज करवाया और कहा वे 16 जून तक ऐसा करेंगे । नेपाली पत्रकारों के फेडरेशन ने विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। काठमांडो के मितिघर मंडल सहित पूरे देश में जिला प्रशासन कार्यालय के सामने सैंकडों की तादाद में पत्रकार धरने पर बैठे। पत्रकार 18 जून को मितिघर मंडल से संविधान सभा भवन तक रैली का आयोजन करेंगे ।

पाक पत्रकारों का बुधवार को प्रदर्शन

पाकिस्तान के पत्रकार सैयद सलीम शहजाद की हत्या की न्यायिक जांच की मांग करने के लिए स्थानीय पत्रकारों ने बुधवार को एक सभा करने की योजना बनाई है। प्रदर्शन का आयोजन पाकिस्तान फेडरल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट :पीएफयूजे: की ओर से किया गया है। संगठन के प्रमुख परवेज शौकत, नेशनल प्रेस क्लब के अधक्ष अफजल बट्ट और रावलपिंडी पत्रकार संघ के प्रमुख ताहिर राठौर ने कहा कि पत्रकार बिरादरी हत्याओं के लिए किसी एक व्यक्ति अथवा संस्था को जिम्मेदार नहीं मानती, लेकिन मामलों की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए। पाकिस्तानी नौसेना के अधिकारियों और अलकायदा के बीच गठजोड का खुलासा करने वाले शहजाद की पिछले महीने हत्या कर दी गई थी।

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