मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018

जम्मू-कश्मीर के कोकून उत्पादकों के लिए केंद्र की कई योजनाएं बंद

देवेंद्र प्रताप
  • दुनिया का सबसे बेहतर कोकून पैदा करने वाले लाखों गरीब और भूमिहीन उत्पादकों की आजीविका छिन गई 
  • मोदी सरकार ने करोड़ों लोगों को रोजगार देना का वादा किया था, ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि हो सकता है इस क्षेत्र का कुछ उद्धार हो, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।


 सरकार की तरफ से रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों के लिए कैटलिटिक डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत कई तरह की योजनाएं चलाई गई थीं, जो अब बंद कर दी गई हैं। ऐसा नहीं है कि इसे मोदी सरकार ने किया है, लेकिन यह जरूर है कि मोदी सरकार ने इन्हें फिर से चालू भी नहीं किया है। यानी कुल मिलाकर दोनों का मतलब एक ही है। इससे दुनिया का सबसे बेहतर कोकून पैदा करने वाले लाखों गरीब और भूमिहीन उत्पादकों की आजीविका छिन गई है। मोदी सरकार ने करोड़ों लोगों को रोजगार देना का वादा किया था, ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि हो सकता है इस क्षेत्र का कुछ उद्धार हो, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
रीयरिंग किट योजना के तहत किसानों को प्लास्टिक ट्रे, स्टैंड और अन्य मदद दी जाती थी। यह योजना अब बंद हो गई है। इसी तरह कोकून उत्पादन के लिए 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये में सरकार किसानों को एक कमरा बना कर देती थी। यह योजना भी बंद हो गई है। रेशम उत्पादन से जुड़ी महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने 2008-09 में स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की थी। इसकी ज्यादातर रकम सरकार ही जमा करती थी। इसमें उक्त महिला के अलावा उसके पति और दो बच्चों को शामिल किया गया था। महिला सशक्तीकरण का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार अब योजना को भी बंद कर चुकी है। कोकून को सुखाने के लिए तकनीकी मदद भी अब सरकार नहीं देती है। रेशम उत्पादकों की मदद के लिए शुरू किया गया कैटलिटिक डेवलपमेंट प्रोग्राम ही सरकार बंद कर चुकी है।

37 में से 20 फैक्ट्रियों पर लटका ताला
सरकार की उपेक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक-एक कर रेशम फैक्ट्रियां बंद होती रहीं, लेकिन उनको बंद होने से बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। एक समय रियासत भर रेशम का धागा बनाने वाली 37 फैक्टियां थीं, आज इनमें से महज 17 ही किसी तरह चल रही हैं। इसकी वजह से समाज में बेरोजगारों को मिलने पर रोजगार भी उनके हाथ से जाता रहा।

बॉयलर को पानी सप्लाई करने वाली पानी की टंकियां दिलाती हैं रेशम फैक्ट्री की याद
जम्मू में जहां पर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बना है, वहां कभी सेरीकल्चर विभाग की रेशम फैक्ट्री हुआ करती थी। इस फैक्ट्री में हजारों वर्कर काम करते थे, जो इससे सटी कालोनी में रहते थे, जिसका नाम ही रेशमघर कालोनी पड़ गया। अब यह फैक्ट्री तो रही नहीं, इसके अवशेष के रूप में बॉयलर को पानी सप्लाई करने के लिए उस समय बनीं तीन पानी की टंकियां अभी सेरीकल्चर विभाग के कार्यालय में हैं, जो फैक्ट्री की याद दिलाती हैं। रेशमघर कालोनी के लोगों के जेहन में अभी भी उन दिनों की याद ताजा है, जब रेशम फैक्ट्री यहां मौजूद थी।

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

चिनैनी नाशरी टनल के मजदूर फिर हड़ताल पर

एक हफ्ते पहले चिनैनी नाशरी टनल के मजदूर दो माह के बकाया वेतन और अन्य सुविधाओं की मांग पर हड़ताल पर चले गये थे। 

प्रशासन ने उनकी मांगें पूरी नहीं करवाईं तो 4 सितंबर को मजदूरों ने फिर से हड़ताल शुरू कर दी। इस बार मजदूर बहुत गुस्से में हैं। उनका कहना है कि उनसे बेगार करवाया जा रहा है। इस बार वे अपना हक लेकर रहेंगे।

गौरतलब है कि यह टनल जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। इसे देश की सबसे लंबी सुरंग बताया गया। वे सुरंग के अंदर जीप से यात्रा किए और  कुछ चहलकदमी भी की। 

जम्मू, कश्मीर, ऊधमपुर और रामबन जिलों को जोड़ने वाली इस सुरंग से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के 30 किलोमीटर लंबे खतरनाक व दुर्गम मार्ग से बचा जा सकेगा। 

मोदी चले गये, फिर पलट कर कभी नहीं जाना इसे चलाने वाले मजदूर कैसे हैं हालत यह है कि तीसरा महीना हो गया टनल में काम करने वाले मजदूरों को तनख्वाह नहीं मिली है। 

मजदूरों के बच्चे स्कूल जा सकें इसके लिए जरूरी है कि मजदूरों को सेलरी समय से मिले। इतना ही नहीं। इन मजदूरों के लिए को मेडिक्लेम भी नहीं है।

 वीकली के अलावा कोई अवकाश नहीं मिलता है। वीडियो में सुनिए चिनैनी नाशरी टनल के मजदूरों की कहानी उन्हीं की जुबानी।

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

बापू की जयंती के दिन किसानों पर पुलिस ने बरसाईं लाठियां

अखिल भारतीय किसान सभा आज दिल्ली की सीमा पर अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर दिल्ली और यूपी की पुलिस द्वारा बर्बर हमले की तीव्र भर्त्सना करती है।
बी के यू के नेतृत्व में किसान अपनी मांगों जैसे-कर्ज माफी, स्वामीनाथन कमीशन के अनुसार समर्थन मूल्य, पेन्शन, गन्ना का बकाया जल्द भुगतान आदि के लिए दिल्ली मे किसान घाट पहुच कर मोदी सरकार से वार्ता करना चाहते थे, पर उन्हे रोका गया, लाठी चार्ज, पानी की बौछार,अश्रु गैस आदि से बर्बर हमले किए गए|दर्जनो किसान घायल हुए है, अनेको ट्रैक्टर को पुलिस द्वारा नुकशान पहुचाया गया है|
आजादी के बाद , मोदी सरकार सबसे ज्यादा किसान विरोधी और कारपोरेट पक्षी सरकार है |गत वर्ष मंदसौर मे 6 किसानो की हत्या की गयी, किसानो की आत्महत्या जारी है, सरकार किसानो एवंआम जनता से सीर्फ झूठे वादे करती है, और राहत एवं माफी कारपोरेट्स- पुजिपतियो को देती है| अ.भा. किसान सभा गत 5 सितम्बर को मजदूरो के साथ मिलकर संसदके सामने लाखो(aiks,citu,aiawu) की संख्या मे ''मजदूर किसान संघर्ष''रैली कर मान्गो को उठाया|और अगले 28-30 नवम्बर को फिर लाखो किसान संसद की ओर अ.भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर मे संयुक्त मार्च करेंगे |
मोदी सरकार को किसान विरोधी और  जन विरोधी नीतियो को छोड़ना होगा अन्यथा आम जनता अगले चुनाव मे भाजपा को सत्ता की गद्दी से नीचे उतार देने के लिए मजबूर हो जायेगी |

नशे में चूर मिला सीनियर फार्मासिस्ट

चिनैनी नाशरी टनल के मजदूरों की सुनो मोदी

भारत-अमेरिका के बीच सैन्य अभ्यास

https://youtu.be/_-H4IuCZcHM
भारत और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ तैयारी को ध्यान में रख कर युद्ध अभ्यास उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चौबटिया, रानीखेत में चल रहा है। सैन्य अभ्यास करने के बाद कुछ मस्ती के पल बिताते हुए फौजी। बेड़ू पाके बारो मासा...और अन्य उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगीतों पर सैनिकों ने जम कर मस्ती की।

Joint Military exercises between India and America in Ranikhet, Almora in Uttarakhand. This exercise is based on to Counter Terrorism.

सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

भारतीय क्षेत्र में घुस आया पाकिस्तानी सेना का हेलीकाप्टर

https://youtu.be/kIuT_py2IvM
एक तरफ हमारे 56 इंच का सीना रखने वाले हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को आने वाले चुनावों में कैश कराने में जुटे हैं और इसके लिए कल ही पूरे देश में उन्होंने पराक्रम दिवस भी मनवाया, वहीं सर्जिकल स्ट्राइक के दूसरे ही दिन पाकिस्तानी सेना का एक हेलीकाप्टर भारतीय क्षेत्र में करीब दो किलोमीटर अंदर तक घुस आया। पुंछ के नियंत्रण रेखा पर स्थित करमाड़ा सेक्टर में आया यह हेलीकाप्टर डेढ़ किलोमीटर अंदर आने के बाद आराम से करीब पांच किलोमीटर लंबी दूरी तय कर माल्टी सेक्टर की तरफ भी गया। उसके इस रूट पर भारतीय सेना की तीन चौकियां भी पड़ीं। जैसे ही सेना के जवानों ने पाकिस्तानी सेना का हेलीकाप्टर देखा, तो तुरंग उधमपुर में वायुसेना के हेडक्वार्टर फोन कर दिया गया। इसके बाद वहां से वायुसेना के जहाज पुंछ पहुंच गए। इस बीच भारतीय सेना के जवानों ने हेलीकाप्टर को निशाना बनाकर गोलाबारी भी शुरू कर दी। हालांकि बहुत नीचे उड़ने के बाद भी पाकिस्तानी सेना का हेलीकाप्टर आसानी से वापस अपने क्षेत्र में लौट गया।