देवेन्द्र प्रताप
किसी भी सरकार की अच्छी या बुरी छवि उसमें शामिल विधायकों या सांसदों की छवि से सीधे तौर पर जुड़ी होती है। इस मानक को गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद नरेन्द्र मोदी की हेट्रिक बनाने वाली सरकार पर लागू करने पर बड़े चौंकाने वाले नतीजे सामने आते हैं। मोदी सरकार में शामिल नवनिर्वाचित विधायकों का लेखा-जोखा इस बात की गवाही देता है कि उनकी सरकार में शामिल विधायक किसी भी तरह बमुश्किल रोजी-रोटी कमाने वाली आम आवाम की किसी भी तरह नुमाइंदगी नहीं करते। बावजूद इसके तथ्य यही है कि वह उन्हीं के द्वारा निर्वाचित सरकार है। पहले ही साफ कर दें कि कांग्रेस और अन्य पार्टियों के जीते हुए प्रतिनिधि भी कोई दूध के धुले नहीं हैं। बहरहाल, गुजरात विधानसभा चुनाव में शामिल प्रतिनिधियों की ओर से चुनाव आयोग के सामने दिए गए हलफनामे के अनुसार वहां के 182 में से 57 अर्थात लगभग 31 प्रतिशत विधायकों ने अपने विरुद्ध आपराधिक मामले लंबित होने की घोषणा की है। यानी मोदी सरकार में बड़ी संख्या में ऐसे लोग शामिल हैं, जिन पर कई तरह के आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। 2007 के चुनाव में ऐसे लोगों की संख्या 25 प्रतिशत थी। इस बार चुने गए 57 में से 24 विधायकों यानी 13 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
निर्वाचन क्षेत्र नारनपूरा से भाजपा विधायक अमित अनिल चन्द्र शाह (2 मामले हत्या / 2 मामले अपहरण), निर्वाचन क्षेत्र वाव से भाजपा विधायक चौधरी शंकरभाई लगधीरभाई (हत्या के प्रयास के 3 मामले), निर्वाचन क्षेत्र शेहरा से भाजपा विधायक जेठाभाई जी अहीर (1 मामला बलात्कार / 1 मामला अपहरण) आदि लोगों की सूची लंबी है, जो आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। तुर्रा यह कि इस चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रतिनिधियों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
इस चुनाव में भले ही मोदी की पार्टी ने हेट्रिक लगाई हो, लेकिन निर्वाचित विधायकों में सबसे ज्यादा संपत्ति वृद्धि मानवदार निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेसी विधायक छावडा जवाहरभाई पेथालालभाई के पास है। 2007 में इनके पास घोषित संपत्ति 18.32 करोड़ थी, जो 2012 में बढ़कर 82.90 करोड़ हो गई। जहांं तक भाजपा विधायकों की संपत्ति में वृद्धि की बात है, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि वे तो लगातार तीन बार से सत्ता सुख भोग रहे हैं। भाजपा के लोगों में सबसे ज्यादा संपत्ति वृद्धि (5525 प्रतिशत)धरनगडर निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक कावडिया जयंतीभाई रामजीभाई की हुई। 2007 में इनके द्वारा घोषित संपत्ति 10.50 लाख रुपये थी, जो 2012 में बढ़कर 5.91 करोड़ हो गई। पाडरा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक पटेल दिनेशभाई बालूभाई की संपत्ति में 34.89 करोड़ की वृद्धि हुई है। इनके द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार 2007 में इनके पास 4.51 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जो 2012 में बढ़कर 39.41 करोड़ हो गई। इसी तरह निर्वाचन क्षेत्र भूज से भाजपा के विधायक आचार्य डॉ. नीमाबेन भावेशभाई की संपत्ति में भी 32.30 करोड़ रुपये का इजाफा देखा गया। इनके पास 2007 में 2.34 करोड़ की संपत्ति थी, जो 2012 में बढ़कर 34.64 करोड़ हो गई।
2012 के विधानसभा चुनाव में उतरे भाजपा के 65 विधायकों द्वारा चुनाव आयोग के सामने प्रस्तुत हलफनामों के अध्ययन से साफ पता चलता है कि इनमें से लगभग हर प्रत्याशी की औसत संपत्ति में 2007 की तुलना में 4.66 करोड़ की वृद्धि हुई है। वहीं कांग्रेस के 33 नवनिर्वाचित विधायकों की संपत्ति में भी औसतन 5.94 करोड़ की वृद्धि हुई है। यानी चाहे वर्तमान भाजपा सरकार हो या फिर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस-दोनों की सरमाएदारों की पार्टियां हैं।
किसी भी सरकार की अच्छी या बुरी छवि उसमें शामिल विधायकों या सांसदों की छवि से सीधे तौर पर जुड़ी होती है। इस मानक को गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद नरेन्द्र मोदी की हेट्रिक बनाने वाली सरकार पर लागू करने पर बड़े चौंकाने वाले नतीजे सामने आते हैं। मोदी सरकार में शामिल नवनिर्वाचित विधायकों का लेखा-जोखा इस बात की गवाही देता है कि उनकी सरकार में शामिल विधायक किसी भी तरह बमुश्किल रोजी-रोटी कमाने वाली आम आवाम की किसी भी तरह नुमाइंदगी नहीं करते। बावजूद इसके तथ्य यही है कि वह उन्हीं के द्वारा निर्वाचित सरकार है। पहले ही साफ कर दें कि कांग्रेस और अन्य पार्टियों के जीते हुए प्रतिनिधि भी कोई दूध के धुले नहीं हैं। बहरहाल, गुजरात विधानसभा चुनाव में शामिल प्रतिनिधियों की ओर से चुनाव आयोग के सामने दिए गए हलफनामे के अनुसार वहां के 182 में से 57 अर्थात लगभग 31 प्रतिशत विधायकों ने अपने विरुद्ध आपराधिक मामले लंबित होने की घोषणा की है। यानी मोदी सरकार में बड़ी संख्या में ऐसे लोग शामिल हैं, जिन पर कई तरह के आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। 2007 के चुनाव में ऐसे लोगों की संख्या 25 प्रतिशत थी। इस बार चुने गए 57 में से 24 विधायकों यानी 13 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
निर्वाचन क्षेत्र नारनपूरा से भाजपा विधायक अमित अनिल चन्द्र शाह (2 मामले हत्या / 2 मामले अपहरण), निर्वाचन क्षेत्र वाव से भाजपा विधायक चौधरी शंकरभाई लगधीरभाई (हत्या के प्रयास के 3 मामले), निर्वाचन क्षेत्र शेहरा से भाजपा विधायक जेठाभाई जी अहीर (1 मामला बलात्कार / 1 मामला अपहरण) आदि लोगों की सूची लंबी है, जो आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। तुर्रा यह कि इस चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रतिनिधियों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
इस चुनाव में भले ही मोदी की पार्टी ने हेट्रिक लगाई हो, लेकिन निर्वाचित विधायकों में सबसे ज्यादा संपत्ति वृद्धि मानवदार निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेसी विधायक छावडा जवाहरभाई पेथालालभाई के पास है। 2007 में इनके पास घोषित संपत्ति 18.32 करोड़ थी, जो 2012 में बढ़कर 82.90 करोड़ हो गई। जहांं तक भाजपा विधायकों की संपत्ति में वृद्धि की बात है, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि वे तो लगातार तीन बार से सत्ता सुख भोग रहे हैं। भाजपा के लोगों में सबसे ज्यादा संपत्ति वृद्धि (5525 प्रतिशत)धरनगडर निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक कावडिया जयंतीभाई रामजीभाई की हुई। 2007 में इनके द्वारा घोषित संपत्ति 10.50 लाख रुपये थी, जो 2012 में बढ़कर 5.91 करोड़ हो गई। पाडरा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक पटेल दिनेशभाई बालूभाई की संपत्ति में 34.89 करोड़ की वृद्धि हुई है। इनके द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार 2007 में इनके पास 4.51 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जो 2012 में बढ़कर 39.41 करोड़ हो गई। इसी तरह निर्वाचन क्षेत्र भूज से भाजपा के विधायक आचार्य डॉ. नीमाबेन भावेशभाई की संपत्ति में भी 32.30 करोड़ रुपये का इजाफा देखा गया। इनके पास 2007 में 2.34 करोड़ की संपत्ति थी, जो 2012 में बढ़कर 34.64 करोड़ हो गई।
2012 के विधानसभा चुनाव में उतरे भाजपा के 65 विधायकों द्वारा चुनाव आयोग के सामने प्रस्तुत हलफनामों के अध्ययन से साफ पता चलता है कि इनमें से लगभग हर प्रत्याशी की औसत संपत्ति में 2007 की तुलना में 4.66 करोड़ की वृद्धि हुई है। वहीं कांग्रेस के 33 नवनिर्वाचित विधायकों की संपत्ति में भी औसतन 5.94 करोड़ की वृद्धि हुई है। यानी चाहे वर्तमान भाजपा सरकार हो या फिर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस-दोनों की सरमाएदारों की पार्टियां हैं।
चुनावों में यह खेल हमेशा से रहा है...... तभी तो आगे चलकर नीतियां भी इसी के अनुरूप बनती हैं
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