सलीम अख्तर सिद्दीकी
घटना है मेरे शहर के कैंट इलाके की। बात उस समय की है, जब सेना ने कैंट को आम नागरिकों के लिए एक तरह से प्रतिबंधित कर दिया था। हर किलोमीटर पर चेकिंग प्वाइंट बना दिए गए थे, जिनसे निकलने में काफी वक्त जाया हो जाता था। बहरहाल, मैं कैंट में था और उसकी एक नीम अंधेरी सड़क पर मेरी मोटर साइकिल का पेट्रोल खत्म हो गया था। पेट्रोल पंप काफी दूर था। ऐसे में मेरे पास यही विकल्प था कि मैं कैंट में रहने वाले अपने मित्र को फोन करके पेट्रोल लाने के लिए कहूं। मित्र को फोन करने के बाद मैं नीम अंधेरी सड़क से निकलकर एक पान-सिगरेट के खोखे के पास आकर इंतजार करने लगा। खोखे के सामने एक बिल्कुल नई लग्जरी गाड़ी आकर रुकी। उस पर नंबर प्लेट नहीं लगी थी, लेकिन उसके आगे समाजवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली सरकार का झंडा जरूर लगा हुआ था। गाड़ी में बैठे महाशय ने कुछ इशारा किया और खोखे वाले ने उनको गाड़ी में ही सामान दिया। अब गाड़ी थोड़ा आगे जाकर रुक गई थी। गाड़ी के अंदर की लाइट जली। उसमें दो आदमी झक सफेद कलफ लगे कपड़ों में बैठे हुए थे। उनके जूते भी शायद सफेद रंग के होंगे, क्योंकि आजकल नेताओं और माफियाओं का यह ड्रेस कोड बना हुआ है। दोनों के हाथों में बीयर की बोतलें थीं। एक आदमी की बोतल खत्म हुई, तो उसने उसे सड़क पार उछाल दिया, जहां मिट्टी पड़ी हुई थी। धप की आवाज हुई और इतने में ही दो लड़के नीम अंधेरे से प्रकट हुए और बोतल पर झपट पड़े। दोनों में बोतल को हथियाने के लिए जद्दोजहद होने लगी। अंतत: बोतल लेने में वह लड़का कामयाब हो गया, जो दूसरे के मुकाबले थोड़ा ताकतवर था। उसने बोतल को अपनी उस छोटी बोरी के हवाले किया, जिसमें पहले से कई बोतलें भरी हुई लग रही थीं। दूसरे लड़के के पास भी ऐसी छोटी बोरी थी। थोड़ी देर बाद दूसरे आदमी ने अपनी बोतल खाली की। उस लड़के ने जो बोतल लेने में नाकाम रहा था, बड़ी आस से बोतल की ओर देखा। आदमी ने बोतल को इस तरह हवा में उछालने का अभिनय किया, जैसे उस लड़के पास ही उसे फेंकना चाहता हो, लेकिन ऐन वक्त पर उसने हाथ ढीला छोड़ दिया। बोतल पक्की सड़क के बीच में आकर गिरी और टूटकर ऐसे बिखर गई, जैसे समाजवाद के परखच्चे उड़ गए हों। लड़के के चेहरे पर मायूसी उभरी और गाड़ी से दोनों आदमियों का अट्टहास गूंजा। लड़के ने दोनों को भद्दी सी गाली दी और अंधेरे में गुम हो गया। हंसी की जगह अब उनके चेहरों पर गुस्सा उभर आया। उन्होंने तेजी के साथ गाड़ी आगे बढ़ाई। जहां यह सब हुआ, उससे चंद गज के फासले पर सेना के जवान बहुत मुस्तैदी से वाहनों की चेकिंग कर रहे थे।

maja aa gaya salim bhai..
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