मारुति के मज़दूरों का दमन हुआ तेज, 111 गिरफ्तार18-19
मई को हरियाणा के कैंथल जिले में मज़दूरों पर पुलिसिया ताण्डव का जो खेल
रचा गया, उसने राज्य सरकार के मज़दूर विरोधी चेहरे को और बेनकाब कर दिया है।
मारुति-सुजुकी के संघर्षरत मज़दूरों, उनके परिजनो और समर्थकों के भारी दमन
के साथ पुलिस ने 111 लोगों पर संगीन धाराएं थोप दीं। इसके विरोध में दिल्ली
सहित देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध का सिलसिला तेज होने लगा है।
मानवाधिकार संगठन पीयूडीआर की टीम ने मौके का मुआइना करके राज्य सरकार से
दमन बन्द करने, गिरफ्तार लोगों की तत्काल रिहाई और पूरी घटना की उच्च
स्तरीय जांच, बर्खास्त मज़दूरों की बहाली व 10 माह से जेल में बन्द मज़दूरों
की जमानत का विरोध न करने की माँग की है।
उल्लेखनीय है कि विगत दस महीने से न्याय के लिए संघर्षरत मारुति-सुजुकी के मज़दूर आन्दोलन की राह पर हैं। पिछले वर्ष 18 जुलाई को एक सुनीयोजित घटना के बहाने यूनियन बनने से बौखलाए मारुति प्रबन्धन ने 546 स्थाई सहित लगभग दो हजार मज़दूरों को बर्खास्त कर दिया था और 147 मज़दूरों को संगीन धाराओं में जेल में ठूंस दिया। 66 अन्य मज़दूरों पर भी गैर जमानती वारण्ट जारी है। तब से मारुति के मज़दूर संघर्ष की राह पर हैं। और सरकार आन्दोलन को कुचलने के हर प्रयास में लगी है।
आन्दोलन के इसी क्रम में मारुति मज़दूर 24 मार्च से कैंथल जिला मुख्यालय पर भूख हड़ताल सहित शांतिपूर्ण धरना चला रहे थे। कोई हल न निकालता देख मज़दूरों ने 19 मई को राज्य के उद्योग मंत्री राजदीप सिंह सूरजवाले के आवास पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की घोषणा की थी। इससे सरकार की बौखलाहट और बढ़ गयी और उसने 19 मई को पूर्व घोषित रैली को रोकने के लिए पूरे कैथल शहर में 18 मई की शाम 5.30 से धारा 144 व कफर््यू लगाकर पूरे शहर की बैरीकेटिंग कर दी और इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया।
फिर शुरू हुआ दमन का एक और दौर। 18 मई की अर्धरात्रि में धरनारत 96 मज़दूरों और समर्थकों को पुलिस उठा ले गई। सुबह चार और मज़दूरों को उठा लिया। इन सभी 100 मज़दूरों और समर्थकों पर धारा 188, 341, 506 व 511 थोप कर प्रशासन ने जेल भेज दिया। गिरफ्तार लोगों में मारुति मज़दूरों के अलावा सहयोग में गये मज़दूर कार्यकर्ता जेएनयू के शोध छात्र और क्रान्तिकारी नौजवान सभा के अमित और इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के श्यामवीर व यूनियन कमेटी के योगेश भी शामिल हैं।
19 मई को रैली रोकने के तमाम प्रयास विफल करते हुए जब औरतों, बच्चों, बुजुर्गों सहित लगभग डेढ़ हजार का कारवां आगे बढ़ा तो पुलिस उनपर हमलावर हो गयी। औरतों बच्चों बूढ़ों तक पर पानी के बौछार, आंसू गैस के गोले, लाठियों और गोलियों के साथ खाकी वर्दीधारी टूट पड़े। इस पुलिसिया हमले से 100 से ज्यादा लोग गम्भीर रूप से घायल हो गये।
यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। हरियाणा पुलिस ने यूनियन के एक प्रमुख साथी राम निवास, यूनियन सलाहकार व हिन्दुस्तान मोटर्स संग्रामी श्रमिक कर्मचारी यूनियन कोलकता के दीपक बक्शी, मज़दूर अखबार श्रमिक शक्ति के संवाददाता सोमनाथ, हिसार के एक पंचायत नेता सुरेश कोथ सहित 11 लोगों को गिरफ्तार करके उनपर आईपीसी की धारा 148, 149, 188, 283, 332, 353, 186, 341 के साथ हत्या के प्रयास (307), आर्म्स ऐक्ट (25), सार्वजनिक सम्पत्ति की क्षति (पीडीपीपी ऐक्ट-3) जैसी गम्भीर व गैर जमानती धाराएं थोप दी हैं।
इस सरकारी तानाशाही के विरोध में राजधानी दिल्ली में 19 मई से ही हरियाणा भवन पर विरोध प्रदर्शनो का सिलसिला जारी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और तमाम संगठनों ने रोष प्रकट किया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दिल्ली में उनके बेटे के निवास पर कुछ संगठनों ने मुलाकात कर विरोध जताया और न्याय की मांग की। देश के अन्य हिस्सों से भी विरोध प्रदर्शनों की खबरें मिल रही हैं। उत्तराखण्ड के रुद्रपुर में विभिन्न यूनियनों-संगठनों ने जिलाधिकारी के माध्यम से हरियाणा सरकार को ज्ञापन भेजा है। इस बीच मारुति-सुजुकी वर्कर्स यूनियन की प्रोविजनल कमेटी ने ऐलान किया है कि जबतक न्याय नहीं मिलता, उनका संघर्ष जारी रहेगा। कोई भी सरकारी दमन उनके हौसले पस्त नहीं कर सकती।
उल्लेखनीय है कि विगत दस महीने से न्याय के लिए संघर्षरत मारुति-सुजुकी के मज़दूर आन्दोलन की राह पर हैं। पिछले वर्ष 18 जुलाई को एक सुनीयोजित घटना के बहाने यूनियन बनने से बौखलाए मारुति प्रबन्धन ने 546 स्थाई सहित लगभग दो हजार मज़दूरों को बर्खास्त कर दिया था और 147 मज़दूरों को संगीन धाराओं में जेल में ठूंस दिया। 66 अन्य मज़दूरों पर भी गैर जमानती वारण्ट जारी है। तब से मारुति के मज़दूर संघर्ष की राह पर हैं। और सरकार आन्दोलन को कुचलने के हर प्रयास में लगी है।
आन्दोलन के इसी क्रम में मारुति मज़दूर 24 मार्च से कैंथल जिला मुख्यालय पर भूख हड़ताल सहित शांतिपूर्ण धरना चला रहे थे। कोई हल न निकालता देख मज़दूरों ने 19 मई को राज्य के उद्योग मंत्री राजदीप सिंह सूरजवाले के आवास पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की घोषणा की थी। इससे सरकार की बौखलाहट और बढ़ गयी और उसने 19 मई को पूर्व घोषित रैली को रोकने के लिए पूरे कैथल शहर में 18 मई की शाम 5.30 से धारा 144 व कफर््यू लगाकर पूरे शहर की बैरीकेटिंग कर दी और इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया।
फिर शुरू हुआ दमन का एक और दौर। 18 मई की अर्धरात्रि में धरनारत 96 मज़दूरों और समर्थकों को पुलिस उठा ले गई। सुबह चार और मज़दूरों को उठा लिया। इन सभी 100 मज़दूरों और समर्थकों पर धारा 188, 341, 506 व 511 थोप कर प्रशासन ने जेल भेज दिया। गिरफ्तार लोगों में मारुति मज़दूरों के अलावा सहयोग में गये मज़दूर कार्यकर्ता जेएनयू के शोध छात्र और क्रान्तिकारी नौजवान सभा के अमित और इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के श्यामवीर व यूनियन कमेटी के योगेश भी शामिल हैं।
19 मई को रैली रोकने के तमाम प्रयास विफल करते हुए जब औरतों, बच्चों, बुजुर्गों सहित लगभग डेढ़ हजार का कारवां आगे बढ़ा तो पुलिस उनपर हमलावर हो गयी। औरतों बच्चों बूढ़ों तक पर पानी के बौछार, आंसू गैस के गोले, लाठियों और गोलियों के साथ खाकी वर्दीधारी टूट पड़े। इस पुलिसिया हमले से 100 से ज्यादा लोग गम्भीर रूप से घायल हो गये।
यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। हरियाणा पुलिस ने यूनियन के एक प्रमुख साथी राम निवास, यूनियन सलाहकार व हिन्दुस्तान मोटर्स संग्रामी श्रमिक कर्मचारी यूनियन कोलकता के दीपक बक्शी, मज़दूर अखबार श्रमिक शक्ति के संवाददाता सोमनाथ, हिसार के एक पंचायत नेता सुरेश कोथ सहित 11 लोगों को गिरफ्तार करके उनपर आईपीसी की धारा 148, 149, 188, 283, 332, 353, 186, 341 के साथ हत्या के प्रयास (307), आर्म्स ऐक्ट (25), सार्वजनिक सम्पत्ति की क्षति (पीडीपीपी ऐक्ट-3) जैसी गम्भीर व गैर जमानती धाराएं थोप दी हैं।
इस सरकारी तानाशाही के विरोध में राजधानी दिल्ली में 19 मई से ही हरियाणा भवन पर विरोध प्रदर्शनो का सिलसिला जारी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और तमाम संगठनों ने रोष प्रकट किया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दिल्ली में उनके बेटे के निवास पर कुछ संगठनों ने मुलाकात कर विरोध जताया और न्याय की मांग की। देश के अन्य हिस्सों से भी विरोध प्रदर्शनों की खबरें मिल रही हैं। उत्तराखण्ड के रुद्रपुर में विभिन्न यूनियनों-संगठनों ने जिलाधिकारी के माध्यम से हरियाणा सरकार को ज्ञापन भेजा है। इस बीच मारुति-सुजुकी वर्कर्स यूनियन की प्रोविजनल कमेटी ने ऐलान किया है कि जबतक न्याय नहीं मिलता, उनका संघर्ष जारी रहेगा। कोई भी सरकारी दमन उनके हौसले पस्त नहीं कर सकती।
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