रविवार, 19 मार्च 2017
10 दिन बाद इजरायल ने सौंपा फिलिस्तीन के सोशल एक्टिविस्ट का शव
10 दिन पहले इजरायली सेना ने वेस्ट बैंक में फिलिस्तीन के युवा एक्टिविस्ट बासिल अल अराज को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने 10 दिनों तक उसके शव को अराज के परिवार वालों को नहीं दिया। इसके खिलाफ पूरे फिलिस्तीन में जबरदस्त प्रदर्शन हुए। आखिरकार 19 मार्च को इजरायल ने उसके शव को सौंप दिया। जिस समय अराज की शवयात्रा निकली ऐसा लगा जनता का सैलाब उमड़ पड़ा हो। मुक्ति संघर्ष के इस सेनानी को अंतिम विदाई देने के लिए मैं भी वहां था। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मैं उसके पार्थिव शरीर को बड़ी जद्दोजहद के बाद देख पाया। फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अराज को 10 गोलियां मारी गई थीं, जबकि वह अहिंसावादी था और अहिंसात्मक ढंग से ही इजरायल की कब्जा करने की नीति का विरोध करता था। दो गोलियां तो उसके सिर में और दो सीने में मारी गई थीं। जाहिर है इसके बाद वह जिंदा नहीं रहा होगा। आप समझ सकते हैं, उसको मारने के बाद भी मारा गया। ओह इतनी क्रूरता कोई इंसान कैसे कर सकता है...इस समय मुझे मेल गिब्सन की प्रसिद्ध फिल्म ब्रेव हर्ट याद आ रही थी...बासिल ऐसा ही जांबाज था...
शव यात्रा में मैंने देखा अराज के पिता अपने बेटे के शव को सॉल्यूट कर रहे थे। वहां मौजूद पत्रकारों के एक समूह से उन्होंने कहा कि वे खुद को बड़ा भाग्यशाली मान रहे हैं कि वे अराज को अंतिम विदाई दे पाए। एक युवा लड़की, जो कि संभवतः अराज की करीबी दोस्त थी कब्रिस्तान के गेट के कोने में खड़ी फूट-फूट कर रो रही थी। वेस्ट बैंक के कब्रिस्तान में अराज के शव का अंतिम संस्कार किया गया।
अराज की शवयात्रा उसके पैतृक घर बेथलहेम के गांव अल वजाला से शुरू हुई। अभी अराज महज 31 साल का था। 6 मार्च को रमल्ला में इजरायली सेना के हमले में उसकी मौत हो गई थी। अराज फिलिस्तीन के मुक्ति संघर्ष का एक जांबाज योद्धा था। उसने इसके लिए फिलिस्तीन के युवाओं को संगठित करने का काम किया। उसके न रहने पर भी फिलिस्तीन के मुक्ति संघर्ष का कारवां नहीं रुकने वाला....बासिल अल अराज के करीबी साथी हमजा अकरावी कहते हैं बासिल के न रहने से फिलिस्तीन के इजरायल विरोधी शांतिपूर्ण युवा आंदोलन को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है। लेकिन इसे खत्म नहीं किया जा सकता। जल्दी ही हम इस दुख से उबर जाएंगे। हालात हमें ठंडा होकर बैठने नहीं देते। इसलिए बासिल हमेशा हमें प्रेरणा देता रहेगा।
(यह लेख फिलिस्तीन के मशहूर लेखकर मजीन कमसिएह का है। वे फिलिस्तीन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के निदेशक, सामाजिक कार्यकर्ता, और इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीनी जनता के संघर्ष पर कई किताबों के लेखक हैं। अनुवादः देवेंद्र प्रताप)
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