अंधविश्वास के विरुद्ध एक जोरदार जंग
देवेन्द्र प्रताप
अंधविश्वास के खिलाफ जंग में श्रीलंका के डा. कोवूर का दूसरा कोई सानी नहीं है। 1959 में कोलंबो विज्ञान केंद्र के प्रधान के पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने अंधविश्वास के खिलाफ अपनी जंग को ही अपने जीवन का मकसद बना लिया। उनका मानना था कि ओझा, तांत्रिक, ज्योतिषी और चमत्कार का दावा करने वाले लोग झूठ बोलते हैं। बावजूद इसके ये समूची दुनिया में फैले हुए हैं। इनकी ताकत किसी परमाणु बम की ताकत से कम नहीं है। ये ऐसे लोग हैं, जिनकी वजह से हर साल दुनिया के लाखों लोग अंधविश्वास की भेंट चढ़ जाते हैं। उन्होंने बहुत ही साफ-साफ और चेतावनी देने के अंदाज में लिखा, ‘चमत्कारी शक्तियों का दावा करने वाले, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं। उनकी बात का कोई भरोसा नहीं किया जाना चाहिए।’ 1963 में उन्होने दुनिया भर के तांत्रिकों, ओझाओं, ज्योतिषियों और दूसरे चमत्कारी पुरुषों को चैलेंज किया कि अगर कोई व्यक्ति उनके सामने आकर अपने चमत्कार को साबित कर देगा, उसे वे अपनी कुल संपत्ति (करीब एक लाख रुपये) इनाम में दे देंगे। इसके लिए उन्होंने ऐसे लोगों के सामने 22 चुनौतियों की एक सूची प्रस्तुत की। आज आधी शताब्दी से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी एक भी चमत्कारी शक्तियों में से एक भी ऐसा आदमी सामने नहीं आया, जो अपने दावे को साबित कर पाया हो।
आज डा. कोवूर तो नहीं रहे, लेकिन दुनिया का कोई भी इंसान जो नीचे प्रस्तुत सूची को झूठा साबित कर दे तो वह आज भी इनाम पा सकता है।
1- जो किसी सीलबंद करेंसी नोट की ठीक नकल पैदा कर सकता हो। 2- जो किसी सीलबंद करेंसी नोट का नंबर पढ सकता हो। 3- जो जलती आग में अपने देवता की सहायता से आधे मिनट के लिए नंगे पैर खडा हो सकता हो। 4- ऐसी वस्तु जो मैं मांगूं, हवा में से प्रस्तुत कर दे। 5- टेलीपैथी द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के विचार पढ कर बता सकता हो। 6- मनोवैज्ञानिक शक्ति से किसी वस्तु को हिला या मोड सकता हो। 7- प्रार्थना द्वारा, आत्मिक शक्ति द्वारा गंगा जल द्वारा या पवित्र राख से अपने शरीर को एक इंच बढ़ा सकता हो। 8- जो योग शक्ति द्वारा हवा में उड सके। 9- यौगिक शक्ति से पांच मिनट के लिए अपनी नब्ज रोक सके। 10- पानी पर पैदल चल सके। 11- अपना शरीर एक स्थान पर छोड कर दूसरी जगह हाजिर हो। 12- यौगिक शक्ति द्वारा 30 मिनट के लिए श्वास क्रिया रोक सके। 13- रचनात्मक बुद्धि का विकास करे। भक्ति या अज्ञात शक्ति द्वारा आत्मज्ञान प्राप्त करे। 14- पुनर्जन्म के तौर पर कोई अनोखी भाषा बोल सके। 15- ऐसी आत्मा या प्रेत हाजिर करे, जिसकी फोटो खींची जा सकती हो। 16- फोटो खींचने के बाद वह फोटो से अलोप हो सके। 17- ताला लगे कमरे में से अलौकिक शक्ति द्वारा बाहर निकल सके। 18- किसी बस्तु का भार बढ़ा सके। 19- छिपी हुई वस्तु को खोज सके। 20- पानी को शराब या पेट्रोल में बदल सके। 21- शराब को रक्त में बदल सके। 22- ऐसे ज्योतिषी या पण्डे, जो यह कह कर लोगों को गुमराह करते हैं कि ज्योतिष तथा हस्त रेखा वैज्ञानिक हैं, मेरे इनाम को जीत सकते हैं। यदि वे दस चित्रों या दस पत्रियों को देख कर आदमियों तथा औरतों की अलग अलग संख्या, जीवित तथा मरे की अलग अलग संख्या बता सकें या जन्म का ठीक समय और स्थान अक्षांस और देशान्तर रेखाओं सहित बता सकें। इसमें 5 प्रतिशत की गलतियों की छूट होगी।
वैसे पहले ही बताते चलें कि इस चुनौती को डा. कोवूर ने अपने समय के लगभग सभी बड़े अखबारों में प्रकाशित करवाया था। इसे ज्योतिष मैग्जीन के सम्पादक वी0वी0 रमन, यूरी गैलर तथा डयूक विश्वविद्यालय के जे0बी0 रीने समेत अन्य लोगों को भी भेजा गया। 1978 में उनकी मौत के समय दुनिया कोई भी आदमी अपनी चमत्कारी शक्तियों को उनके सामने साबित नहीं कर पाया। हां यह जरुर हुआ कि दो व्यक्ति जो किसी तरह हिम्मत करके डा0 कोवूर के पास पहुंचे, उनकी जमानत जब्त हो गयी। उन्हें जमानत के लिए रखे गये दो हजार रुपये हारना पड़ा। आज हमारे देश में भी इसी तर्ज पर अंधविश्वास के खिलाफ जंग छेड़ने का काम किया है रेशनेलिस्ट सोसायटी, पंजाब ने। इसके प्रधान मेघराज मित्र ने डा. कोवूर के चैलेंज को भारत समेत समूची दुनिया की अंधविश्वास में यकीन करने वाली शक्तियों के सामने रखा है। जोकि अंधविश्वास के विनाश के लिए काम करती है, के प्रधान श्री मेघ राज मित्र के अनुसार बहादुरों के देश भारत का अगर कोई बंदा डा. मेघराज मित्र से संपर्क करना और उनके सामने अपनी कला का प्रदर्शन करना चाहता है, तो उनके निवास ‘तर्कशील’ के0सी0 रोड, बरनाला, पंजाब पर पहुंच कर अपनी कला का प्रदर्शन कर सकता है। हां भइया जमानत की रकम लेकर जाइएगा। क्या सचमुच डा. कोवूर की यह बात सही है कि चमत्कारी शक्तियों का दावा करने वाले पूरी तरह पाखंडी और पागल होते हैं। अगर नहीं तो चलो साबित करो।
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