सोमवार, 4 अप्रैल 2011

रहमान भाई बिरियानी वाले

आप अगर कभी मेरठ के घंटा घर से गुजरें तो किसी से रहमान भाई की बिरियानी की दुकान के बारे में पूछें तो आपको शायद ही कोई बंदा ऐसा मिलेगा जो आपको उनका पता न बताए। जी हां विश्वास न हो तो कभी आजमा कर देख लें। हां कुछ लोग उन्हें हाजी साहब कहते हैं तो कुछ अख्तर भाई। इतने से तो आप जरुर ही वहां पहुंच जाएंगे। चलिए मैं ही आपको उनका पता बताए देता हूं। घंटाघर से आप जिला महिला अस्पताल की ओर चलिए। अस्पताल के पहले गेट पर पहुंचकर रोड के उस पार निगाह डालिए रहमान भाई बिरियानी वाले का बोर्ड आपको नजर आ जाएगा। फिर भी न पहचान रहे हों तो लाइन से बिरियानी की दुकानों पर नजर डालिए जहां सबसे ज्यादा भीड़ लगी हो समझ जाइए आपकी मुराद पूरी हो गयी।
अख्तर भाई जिस समय बिरियानी तैयार करने में लगे रहते हैं न जाने कितने लोग उस समय ही एक बार उनकी दुकान पर चक्कर मार जाते हैं। बिरियानी तैयार हुई नहीं कि हाजी साहब 20 की, रहमान भाई 10 की, अख्तर भाई मुझे भी की आवाजें उनकी छोटी से दूकान में गूंजने लगती हैं। लेकिन अख्तर भाई को अब अपने चाहने वालों की इन आवाजों की इतनी आदत सी पड़ गयी है कि वे बिना कोई जवाब दिए चुपचाप लोगों की ओर प्लेट बढ़ाते रहते हैं। वे एक साथ अलग-अलग मांग के मुताबिक 10-12 लोगों से पैसा ले लेते हैं कई बार तो 15-20 लोगों से। लेकिन यह कभी इत्तेफाक भी नहीं होता कि वे किसी को गलत प्लेट पकड़ा दें या फिर उन्हें बिरियानी देना भूल जाएं।
बिरियानी परोसने में रहमान भाई के हाथ माडर्न टाइम्स फिल्म के नट-बोल्ट कसने वाले चार्ली चैप्लिन के हाथ की तरह हैं। फिल्म में जैसे-जैसे मशीन की स्पीड तेज होती जाती है चार्ली के हाथ भी उसी तरह उसका पीछा करने की कोशिश करते हैं। यही हाल रहमान भाई का है। वे पूरे समय शान्त तो रहते हैं। लेकिन इसका मतलब वे यह कदापि नहीं है कि वे आपकी आवाज को अनसुना कर रहे हैं। उनके कान सभी की बात सुनते रहते हैं और उनके हाथ की स्पीड उसी के साथ तेज होती जाती है। इधर आपने आवाज दी नहीं कि उधर 7-8 मिनट के अन्दर वे दो तीन लोगों को गर्मागर्म बिनियानी की प्लेट पकड़ा चुके होते हैं। स्वाद के साथ ही उनका बिरियानी परोसने का अंदाज इतना निराला है कि एक बार जो उनके हाथ की बिरियानी खाता है उनका मुरीद हो जाता है।
Devendra Pratap
9719867313

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