उत्तराखण्ड श्रममंत्री आवास पर मज़दूर पंचायत
ऊधम सिंह नगर : 16 जून की मज़दूर पंचायत से बौखलाई उत्तराखण्ड सरकार के निर्देश पर ऊधम सिंह नगर जिला प्रशासन ने डीएम कार्यालय सहित पूरे शहर में धारा 144 लगा दिया और जिला मुख्यालय पर मज़दूरों के क्रमिक अनशन व धरने पर रोक लगा दी। यही नहीं, पुलिस ने पूर्व घोषित मोचें की बैठक भी नहीं होने दी। इससे पूर्व कल महापंचायत के दौरान प्रदेश के श्रममंत्री ने मोर्चे के प्रतिनिधिमण्डल को धमकियां दी थीं और उसी वक्त रुद्रपुर के उपजिलाधिकारी को फोन करके कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस बीच, “सिडकुल मज़दूर संयुक्त मोर्चा” ने सरकार की इस कार्यवाही पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ताजा हालात में नयी रणनीत के तहत आन्दोलन को आगे बढ़ाने की तैयारी में लग गया है। उल्लेखनिय है कि 16 जून को पुलिस की बेरीकेटिंग पर तीखे झडप और बारिश के बौछारों को झेलते हुए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हल्दूचैड़ (नैनीताल) स्थित प्रदेश के श्रम मंत्री हरीश दुर्गापाल के आवास के निकट मज़दूर पंचायत सपन्न हुआ। इसमें ‘‘सिडकुल मज़दूर संयुक्त मोर्चा’’ के बैनर तले विभिन्न यूनियनों-संगठनों के लगभग चार-पाँच सौ मज़दूरों ने पूरे जोश-खरोश के साथ भागेदारी निभाई थी। पंचायत का आह्वान असाल फैक्ट्री, पंतनगर के मज़दूरों को न्याय दिलाने और औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल में श्रमकानूनों को लागू करने, यूनियन बनाने के ‘‘अपराध’’ में मज़दूरों का दमन रोकने, कारखानो में बढ़ती दुर्घटनों में अंगभंग व मौतों पर रोक लगाने आदि माँगों को लेकर किया गया था। यह फैसला 11 जून को ऊधमसिंह नगर जिला मुख्यालय पर सम्पन्न मज़दूर पंचायत में लिया गया था।
दरअसल, सिडकुल, पन्तनगर स्थित टाटा वेण्डर आटोमोटिव स्टंपिंग एण्ड असेम्बलिंग लिमिटेड (असाल) के मज़दूर टेªनी का अवैध धंधा खत्म करने की माँग के साथ विगत 7 माह से संघर्षरत हैं। यूनियन बनाने के प्रयास के बाद प्रबन्धन ने पाँच स्थाई श्रमिकों के निलम्बन के साथ ट्रेनी सहित समस्त मज़दूरों को बाहर कर दिया था। संघर्षरत 98 मज़दूरों को 6-7 जून की आधी रात पुलिसिया दमन के साथ गिरफ्तार करके हल्द्वानी, नैनीताल व अल्मोड़ा की जेलों में बन्द कर दिया गया था। उनपर शांतिभंग की आशंका (धारा 151) थोपा गया। इस बर्बर घटना के बाद संघर्ष नये चरण में चला गया और विभिन्न यूनियनों और मज़दूर संगठनों के प्रयास से ‘‘सिडकुल मज़दूर संयुक्त मोर्चा’’ बना।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड का सिडकुल क्षेत्र मज़दूर दमन का पर्याय बन गया है। हालात ये हैं कि पिछले महज डेढ़ माह के भीतर विभिन्न कारखानों में 6 मज़दूरों की दर्दनाक मौत की खबरें सामने आ चुकी हैं। श्रमकानूनों के खुले उल्लंघन के साथ ही जहाँ भी यूनियन बनाने का प्रयास होता है, मज़दूर व प्रतिनिधि कोपभाजन बनते हैं। चैतरफा गैरकानूनी ठेका प्रथा और ट्रेनिंग के बहाने मज़दूरों का शोषण जारी है।
इसीलिए नवगठित मोर्चे ने असाल मज़दूरों के मुद्दे के साथ यूनियन बनाने के दंश का कहर झेल रहे ब्होराॅक, बीसीएच, एलजीबी, पारले, एएलपी भाष्कर, डाबर, टीबिएस चक्रा, मंत्री मेटेलिक्स आदि के संघर्षरत मज़दूरों, दमन, श्रमकानूनो की बहाली, कारखानों में सुरक्षा और मृतकों-घायलों को मुआवजे, ठेकाप्रथा के खात्में, महिलाकर्मियों की सुरक्षा आदि मुद्दों को लेकर जिला कलक्ट्रेट पर क्रमिक अनशन भी शुरू कर दिया है।
संयुक्त मोर्चे में इलाके की ब्रिटानिया श्रमिक संघ, नेस्ले कर्मचारी संगठन, नेस्ले मज़दूर संघ, पारले मज़दूर संघ, एस्काॅर्ट श्रमिक संघ, बीसीएच मज़दूर संघ, थाईसुमित नील आॅटो कामगार संघ, वोल्टास श्रमिक संगठन, सिरडी श्रमिक संगठन, एलजीबी वर्कर्स यूनियन, व्होराॅक वर्कर्स यूनियन, इण्डोरेन्स वर्कर्स यूनियन, असाल कामगार संगठन, टाटा मोटर्स श्रमिक संगठन, बडवे वर्कर्स यूनियन, परफेटी श्रमिक संगठन, आनन्द निशिकावा इम्पलाइज यूनियन, रिद्धी सिद्धी कर्मचारी संघ, मज़दूर सहयोग केन्द्र, इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र, एक्टू, सीटू, एटक, बीएमएस, उत्त्राखण्ड परिवर्तन पार्टी, आम आदमी पार्टी शामिल हैं।
ऊधम सिंह नगर : 16 जून की मज़दूर पंचायत से बौखलाई उत्तराखण्ड सरकार के निर्देश पर ऊधम सिंह नगर जिला प्रशासन ने डीएम कार्यालय सहित पूरे शहर में धारा 144 लगा दिया और जिला मुख्यालय पर मज़दूरों के क्रमिक अनशन व धरने पर रोक लगा दी। यही नहीं, पुलिस ने पूर्व घोषित मोचें की बैठक भी नहीं होने दी। इससे पूर्व कल महापंचायत के दौरान प्रदेश के श्रममंत्री ने मोर्चे के प्रतिनिधिमण्डल को धमकियां दी थीं और उसी वक्त रुद्रपुर के उपजिलाधिकारी को फोन करके कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस बीच, “सिडकुल मज़दूर संयुक्त मोर्चा” ने सरकार की इस कार्यवाही पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ताजा हालात में नयी रणनीत के तहत आन्दोलन को आगे बढ़ाने की तैयारी में लग गया है। उल्लेखनिय है कि 16 जून को पुलिस की बेरीकेटिंग पर तीखे झडप और बारिश के बौछारों को झेलते हुए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हल्दूचैड़ (नैनीताल) स्थित प्रदेश के श्रम मंत्री हरीश दुर्गापाल के आवास के निकट मज़दूर पंचायत सपन्न हुआ। इसमें ‘‘सिडकुल मज़दूर संयुक्त मोर्चा’’ के बैनर तले विभिन्न यूनियनों-संगठनों के लगभग चार-पाँच सौ मज़दूरों ने पूरे जोश-खरोश के साथ भागेदारी निभाई थी। पंचायत का आह्वान असाल फैक्ट्री, पंतनगर के मज़दूरों को न्याय दिलाने और औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल में श्रमकानूनों को लागू करने, यूनियन बनाने के ‘‘अपराध’’ में मज़दूरों का दमन रोकने, कारखानो में बढ़ती दुर्घटनों में अंगभंग व मौतों पर रोक लगाने आदि माँगों को लेकर किया गया था। यह फैसला 11 जून को ऊधमसिंह नगर जिला मुख्यालय पर सम्पन्न मज़दूर पंचायत में लिया गया था।
दरअसल, सिडकुल, पन्तनगर स्थित टाटा वेण्डर आटोमोटिव स्टंपिंग एण्ड असेम्बलिंग लिमिटेड (असाल) के मज़दूर टेªनी का अवैध धंधा खत्म करने की माँग के साथ विगत 7 माह से संघर्षरत हैं। यूनियन बनाने के प्रयास के बाद प्रबन्धन ने पाँच स्थाई श्रमिकों के निलम्बन के साथ ट्रेनी सहित समस्त मज़दूरों को बाहर कर दिया था। संघर्षरत 98 मज़दूरों को 6-7 जून की आधी रात पुलिसिया दमन के साथ गिरफ्तार करके हल्द्वानी, नैनीताल व अल्मोड़ा की जेलों में बन्द कर दिया गया था। उनपर शांतिभंग की आशंका (धारा 151) थोपा गया। इस बर्बर घटना के बाद संघर्ष नये चरण में चला गया और विभिन्न यूनियनों और मज़दूर संगठनों के प्रयास से ‘‘सिडकुल मज़दूर संयुक्त मोर्चा’’ बना।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड का सिडकुल क्षेत्र मज़दूर दमन का पर्याय बन गया है। हालात ये हैं कि पिछले महज डेढ़ माह के भीतर विभिन्न कारखानों में 6 मज़दूरों की दर्दनाक मौत की खबरें सामने आ चुकी हैं। श्रमकानूनों के खुले उल्लंघन के साथ ही जहाँ भी यूनियन बनाने का प्रयास होता है, मज़दूर व प्रतिनिधि कोपभाजन बनते हैं। चैतरफा गैरकानूनी ठेका प्रथा और ट्रेनिंग के बहाने मज़दूरों का शोषण जारी है।
इसीलिए नवगठित मोर्चे ने असाल मज़दूरों के मुद्दे के साथ यूनियन बनाने के दंश का कहर झेल रहे ब्होराॅक, बीसीएच, एलजीबी, पारले, एएलपी भाष्कर, डाबर, टीबिएस चक्रा, मंत्री मेटेलिक्स आदि के संघर्षरत मज़दूरों, दमन, श्रमकानूनो की बहाली, कारखानों में सुरक्षा और मृतकों-घायलों को मुआवजे, ठेकाप्रथा के खात्में, महिलाकर्मियों की सुरक्षा आदि मुद्दों को लेकर जिला कलक्ट्रेट पर क्रमिक अनशन भी शुरू कर दिया है।
संयुक्त मोर्चे में इलाके की ब्रिटानिया श्रमिक संघ, नेस्ले कर्मचारी संगठन, नेस्ले मज़दूर संघ, पारले मज़दूर संघ, एस्काॅर्ट श्रमिक संघ, बीसीएच मज़दूर संघ, थाईसुमित नील आॅटो कामगार संघ, वोल्टास श्रमिक संगठन, सिरडी श्रमिक संगठन, एलजीबी वर्कर्स यूनियन, व्होराॅक वर्कर्स यूनियन, इण्डोरेन्स वर्कर्स यूनियन, असाल कामगार संगठन, टाटा मोटर्स श्रमिक संगठन, बडवे वर्कर्स यूनियन, परफेटी श्रमिक संगठन, आनन्द निशिकावा इम्पलाइज यूनियन, रिद्धी सिद्धी कर्मचारी संघ, मज़दूर सहयोग केन्द्र, इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र, एक्टू, सीटू, एटक, बीएमएस, उत्त्राखण्ड परिवर्तन पार्टी, आम आदमी पार्टी शामिल हैं।
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