गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

'स्लेवेरी बाई अनदर नेम' : एक अमेरिकी वित्तचित्र


'स्लेवेरी बाई अनदर नेम' एक 90 मिनट का अमेरिकी वित्तचित्र है जो अमेरिका में एक बहु प्रचारित धारणा को चुनौती देता है। वह धारणा इस बात पर विश्वास है कि इस देश में दासता की प्रथा 1863 के अब्राहम लिंकन के मुक्ति की घोषणा के साथ समाप्त हो गयी थी। वाल स्ट्रीट जर्नल के वरिष्ठ लेखक डगलस . ब्लैकमन की पुलित्ज़र पुरस्कार प्राप्त पुस्तक पर आधारित यह वित्तचित्र मुक्ति के बाद के युग की उस कहानी की परतें उधेड़ती हैं, जिसकी बहुत कम लोगों को जानकारी है, जब अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में श्रम सम्बन्धी तौर तरीकों और कानूनों ने वस्तुतः एक नये किस्म की गुलामी को जन्म दिया जो बीसवीं शताब्दी तक जारी रही। यह   वित्तचित्र ट्विन सिटीज़ पब्लिक टेलीविजन द्वारा तैयार की गई है और उसे विगत सोमवार 13 फ़रवरी को अमेरिका के अधिकांश शहरों में प्रदर्शित किया गया। जो साथी अपेक्षाकृत तेज इंटरनेट कनेक्शन पर हैं वे इसे इस डिस्पैच के अन्त में दिए गए लिंक को क्लिक कर के देख सकते हैं। यह  फिल्म विस्तार से दक्षिणी अमेरिका में वास्तविक दासता की पुनर्स्थापना का जीवन्त चित्र प्रस्तुत करती है जो बीसवीं शताब्दी में परवान चढ़ी और पर्ल हार्बर की घटना तक अमेरिका के न्याय विभाग के वरदहस्त से बदस्तूर जारी रही। अफ्रीकी-अमेरिकी परिवारों के लिए इसका परिणाम भयावह था और यह एक किस्म के न्यायिक, राजनीतिक और आर्थिक आतंकवाद का पर्याय था और इसकी गूँज अभी भी अमेरिकी राजनीति में सुनायी देती है। यह फिल्म उन सैकड़ो हजार अफ्रीकी-अमेरिकी परिवारों में से कुछ की कहानियों पर खुद को केन्द्रित करता है जिन्हें 'बन्दी उधार प्रणाली' में घसीट लिया गया और कोयला खानों  और कृषि में लगाया गया जो इनके लिए मौत के परवाने की तरह होता था लेकिन उन निगमों के लिए जो उन्हें इस्तेमाल करती थीं, भरी मुनाफे का सौदा होता था।  'बन्दी उधार प्रणालीका दक्षिणी अमेरिका के इतिहास के एक सबसे महत्वपूर्ण हड़ताल को समाप्त करने के लिए किया गया जब 'यूएमडब्लूए' ने बिर्मिन्घम के कोयला खानों में इस प्रणाली को ख़त्म करने की कोशिश की। इस हड़ताल का अभूतपूर्व निर्ममता से दमन किया गया।  
साभार -
Red Tulips

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