शनिवार, 12 अगस्त 2017

63 मासूमों की मौत का जिम्मेदार है यूपी का नीरो

                   (देवेंद्र प्रताप)।
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज में एक हफ्ते में 63 बच्चों की मौत हो गयी है। जिस दिन मोदी और योगी देश-प्रदेश की जनता को गांधी जी के भारत छोडो आंदोलन के बारे में बताकर उसका लाभ लेने के लिए उनको बेवकूफ बनाने में मशगूल थे, उसी 9 अगस्त की आधी रात से 10 अगस्त की आधी रात तक 30बच्चों ने आक्सीजन नहीं मिलने से एक एक सांस के लिए घुट-घुट कर दम तोडा। बच्चे तडप तडप कर दम तोडते रहे पर योगी सरकार मदरसों में वंदेमातरम की वीडियोग्राफी करवाकर मुस्लिमों की देशभक्ति जुटाने में एडी चोटी का जोर लगाए हुए थी।  कुछ समय पहले इसी अस्पताल में योगी ने अपने प्रमुख सचिव समेत अपनी पसंद के उच्च अधिकारियों के साथ करीब पांच घंटे तक बैठक की थी। उस समय अस्पताल में आक्सीजन की कमी की बात सामने आ गयी थी। फिर भी योगी को पता नहीं चला। आखिर गेरुआ वस्त्र कितने पाखंड ढंकेगा। पाठकों के सामने उन तथ्यों को रखना जरुरी है जिससे यह पता चल जाएगा कि यह योगी नहीं बल्कि एक ढोंगी है। यह रांग नंबर है।
‌1 अगस्त को अस्पताल में आक्सीजन की सप्लाई करने वाली कंपनी के प्रमुख ने अस्पताल प्रशासन के साथ ही डीएम को भी यह बता दिया था कि उसका बीआरडी मेडिकल कालेज पर 63 लाख का बकाया है। इसलिए वह अब आक्सीजन की आपूर्ति जारी नहीं रख सकता है। इसके बाद भी उसे भुगतान नहीं किया गया। नतीजतन  उसकी तरफ से सप्लाई बंद र दिए जाने से आक्सीजन की कमी से मरने का सिलसिला शुरू हो गया। ऐसे में यह संभव ही नहीं है कि रोज ही एक अस्पताल में 5-6 बच्चे आक्सीजन की कमी से मरते रहे और सरकार को पता ही न चले। वह भी तब जबकि योगी ने सौ प्रतिशत अपनी पसंद के अधिकारियों को विभागों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी हैं। कुल मिलाकर यह 63 बच्चों की हत्या है।
 अंध भक्तों की शायद आज भी आंख नहीं खुले। लेकिन उन्हें भी यह समझना चाहिए कि इन बच्चों में यदि उनका भी कोई रिश्तेदार होता तो क्या वे इसी तरह अपने आका के पक्ष में खडे रह पाते?  क्या वे सबसे पहले एक इंसान नहीं हैं, पार्टी और विचारधारा तो बाद की बात है। गोदी में आक्सीजन की कमी से मरते बच्चों को देखकर क्या उनकी भी जीते जी मौत नहीं हो जाती। जरा कल्पना कीजिए अपने मर चुके बच्चे का शव लेकर अस्पताल में इधर उधर भागती मां के कलेजे पर उस समय क्या बीती होगी जब उसके मृत बच्चे के साथ उसे अस्पताल से भगा दिया जाए।
 सरकार इस मामले में कितना झूठ बोल रही है इसे समझना मुश्कल नहीं। जब सरकार से बच्चों की मौत के बारे में पूछा गया तो ट्वटर पर अपने पहले जवाब में योगी सरकार ने साफ मना कर दिया कि बच्चों की मौत आक्सीजन की कमी से हुई है। ट्विटर पर अपने दूसरे ट्वीट में सरकार ने मीडिया पर इस मुद्दे पर दुष्प्रचार करने का आरोप लगा दिया। आखिर यह कौन सी ईमानदारी की बात हुई। जब सरकार किसी कीमत पर अपनी गलती नहीं मानने पर अडी रही तो कुछ मीडिया कर्मियों ने पूरे अस्पताल में आक्सीजन को नियंत्रित करने वाने इंचार्ज कर्मी का वह पत्र सार्वजनिक कर दिया जो उसने करीब दो हफ्ते पहले लिखा था।  इस पत्र में उसने बताया था कि आक्सीजन की आपूर्ति जल्दी ही खत्म हो जाएगी इसलिए तुरंत इंतजाम किया जाए। फिर भी जब हफ्ता भर में कुछ नहीं किया गया तो कर्मचारी ने रिमाइंडर पर रमाइंडर लिखा। इसमें उसने यह भी जोड दिया कि अब रिजर्व आक्सीजन से ही काम चलेगा। जब इस पर भी सरकार के अधिकारी नहीं चेते तो वह सब शुरू हो गया जिसके चलते शनिवार की दोपहर तक 63 बच्चों की मौत हो गयी। इनमें 14 नवजातों की मौत भी शामिल है जिन्हें ढोंगी योगी की सरकार ने दुनिया में आने ही नहीं दिया। अब तो गैस सप्लायर का पत्र भी सार्वजनिक कर दिया गया है। इस पत्र में आक्सीजन गैस के सप्लायर ने काफी पहले साफ कर दिया था कि 60 लाख बकाया का भुगतान नहीं होने की स्थिति में उसके लिए सप्लाई जारी रख पाना मुश्किल होगा। फिर भी योगी सरकार नहीं जगी।
सरकार से यह भी पूछा जाना चाहिए कि यदि निको वार्ड में एडमिट 14 नवजातों  और अन्य बच्चों की मौत आक्सीजन की कमी से नहीं हुई तो योगी सरकार क्यों आक्सीजन की सप्लाई करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस से दबिश डलवा रही है। अब आक्सीजन गैस का सप्लायर पुलिस से बचने के लिए मारा मारा फिर रहा है। अपने अपराध को योगी सरकार दूसरों के गले बांध रही है।
फिर भी योगी सरकार यदि इस मामले में अपना अपराध नहीं स्वीकारती है तो वह बताए कि आखिर क्यों आनन फानन में बच्चों के शवों का बिना पोस्टमार्टम करवाए उनके परिजनों के हवाले कर उन्हें अस्पताल से जाने को कह दिया गया। अब वक्त आ गया है कि जनता समझे कि उन्होंने जिसे वोट देकर जिताया वह रांग नंबर है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. अच्‍छी रिपोर्ट। मीडिया जिन सवालों को पूछने से बच रही है, उन्‍हें उठाने वाली रिपोर्ट है। क्या कफील खान के बारे में हो रहा दुष्‍प्रचार सच है?

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  2. अगली पोस्ट इसी सवाल पर होगी।

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