सोमवार, 7 अगस्त 2017

पूंजीपति वर्ग का पुराना चाकर क्यों बार-बार खा रहा शिकस्त

                     (देवेंद्र प्रताप)
आज हमारे देश में पूंजीवाद  है। सत्ता पूंजीपति वर्ग के हाथ में है। वर्तमान संसदीय ढांचे में हर पार्टी मूलतः इसी वर्ग की नुमाइंदगी करती है, इसलिए जनता की नुमाइंदगी की बात सिर्फ धोखा है। चूंकि पूंजीपति वर्ग आम जनता के शोषण के दम पर ही अपनी अट्टालिकाएं खडी करता है, इसलिए उसकी पूरी कोशिश होती है कि आम जनता बंटी रहे। इसके लिए सत्ता पर काबिज शासक वर्ग जाति धर्म का इस्तेमाल जनता को बांटने के लिए करता है। जाति धर्म के नाम पर दंगे करवाए जाते हैं। वैसे तो सत्ता में रहने वाली हर पार्टी पूंजीपति वर्ग की चाकरी करती है, लेकिन जो पार्टी जनता को बांटने का काम जितना बेहतर करेगी, उतनी ही वह पूंजीपति वर्ग की वफादार होगी। जाति- धर्म के नाम पर दंगे, झगडे, अंधविश्वास पैदा कर फूट डालने का सीधा फायदा पूंजीपति वर्ग को होता है। आज जब समाज में गैरबराबरी पहले से काफी ज्यादा बढ गई है तो पूंजीपति वर्ग ने भी अपने पुराने चाकर को बदल दिया है। भगवा रंग वाला चाकर लंबे समय से जूठन पर जिंदा था, लेकिन जूठन खाते खाते उसने पूंजीपति वर्ग के तलवे चाटने के सारे गुण सीख लिए हैं। सच कहा जाए तो उसने इस मामले में पुराने वफादार को भी काफी पीछे छोड दिया है। अब उसने बाकायदा पुराना चाकर मुक्त देश का नारा दिया है। इसमें वह सफल भी हो रहा है। नई चाकर पार्टी के मुखिया ने एक बात बहुत सही कही। वह यह कि पुराने चाकर को अपनी गलतियों से सबक लेना चाहिए। लेकिन पुराना चाकर लंबे समय से चाकरी करते करते घमंडी हो गया है इसलिए नए चाकर से बार बार शिकस्त खाने के बाद भी वह नहीं सबक ले रहा है। ऐसे में यदि नए चाकर की भविष्यवाणी सच हो गई तो इससे कोई आश्चर्य नहीं होगा। वैसे भी नए भगवा चाकर के पास हिंदू मुसलमान, मंदिर मसजिद, वेद पुराण, मनु-चाणक्य जैसे अनगिनत हथियार हैं जिनके सामने पुराने चाकर की तरह उसके अस्त्र शस्त्र भी पुराने पड गए हैं।

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