रुद्रपुर
(उत्तराखण्ड)। लम्बे समय से जारी दमन-उत्पीड़न के खिलाफ सिडकुल की विभिन्न
कम्पनियों के श्रमिकों ने सामूहिक रूप से स्थानीय डीएम कार्यालय पर एक
दिवसीय धरना देकर अपना आक्रोश प्रकट किया और जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर
अवैध रूप से निकाले गये मज़दूरों की कार्यबहाली, माँगपत्रों के निस्तारण,
शोषण व दमन खत्म करने आदि की माँग की।
इस अवसर पर आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि मजदूरों की भारी आबादी आज बेहद मामूली दिहाड़ी पर 12-12 घण्टे खटने को मजबूर है। जहाँ भी मजदूरों ने हक की आवाज उठाई वहीं दमन शुरू हो जाता है। यूनियन बनाना अपराध बन गया है। प्रबन्धन जब चाहे मज़दूरों को निकाल देता है और श्रम विभाग से लेकर पुलिस व प्रशासन तक मालिकों की ही भाषा बोलते हैं।
पारले मजदूर संघ के प्रमोद तिवारी ने कहा कि पारले कम्पनी में साढ़े तीन साल पहले यूनियन बनी तभी से शोषण जारी है और अबतक करीब ढ़ाई सौ स्थाई-अस्थाई मज़दूर निकाले जा चुके हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और श्रम विभाग की प्रबन्धन के खिलाफ रिपोर्टों के बावजूद न्याय मिलने की जगह दमन ही बढ़ा है। स्थिति यह है कि ताजा माँगपत्र पर एएलसी महज ने एक वार्ता की खानापूर्ति करके फाइल डीएलसी कार्यालय भेज दी और डीएलसी ने डेढ़ माह बाद वार्ता की तिथि देकर अपनी पक्षधरता स्पष्ट कर दी है।
रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ के दरपान सिंह खाती ने कहा कि राॅकेट रिद्धि सिद्धि में विगत डेढ़ साल से माँगपत्र को लेकर औद्योगिक विवाद कायम है और प्रबन्धन तरह-तरह से श्रमिकों का उत्पीड़न कर रहा है। इसी क्रम में पिछले नौ माह से यूनियन पदाधिकारियों सहित 10 श्रमिकों का कथित जाँच के बहाने उत्पीड़न जारी है, चार श्रमिकों का विगत नौ माह से गेट बन्द है। माँगपत्र पर भी प्रबन्धन ने खामोशी बना रखी है।
मित्तर फाॅस्टनर कम्पनी के सुदर्शन कुमार शर्मा ने बताया कि वेतन बढ़ोत्तरी और न्यूनतम सुविधाओं की माँग करने पर प्रबन्धन ने अवैध रूप से चार श्रमिकों की सेवा समाप्त कर दी और दो श्रमिकों को निलम्बित कर दिया। पिछले एक पखवारे से पीडि़त श्रमिक न्याय के लिए कलक्ट्रेट परिसर में धरनारत हैं।
महेन्द्रा यूजिन/सीआईआई कम्पनी के श्रमिक प्रतिनिधि हेम चंद ने बताया कि श्रमिकों ने विगत साढ़े नौ माह पूर्व अपने वेतन व सुविधाओं के सम्बन्ध में माँगपत्र दिया तो वहाँ दमन बढ़ गया। श्रमिक प्रतिनिधियों सहित दो श्रमिकों का अवैध रूप से विगत नौ माह से गेट बन्द है। एएलसी एसडीएम केवल आश्वासन दे रहे हैं।
वोल्टास इम्पलाइज यूनियन के नन्दलाल ने कहा कि यूनियन विगत साढ़े छह माह से अपने माँगपत्र को लेकर संघर्षरत हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे में संयुक्त रूप से संघर्ष के लिए हमें आगे आना पड़ा है। आगे और भी कारखानों के मज़दूर एकजुट होंगे।
टाटा मोटर्स लि. श्रमिक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद आर्य ने समर्थन देते हुए कहा कि आज सभी कम्पनी के मजदूरों को एकजुट होने की जरूरत है, ऐसे में पाँच कम्पनियों के मजदूरों का यह सामुहिक धरना महत्वपूर्ण है जो हमारी एकता को और आगे बढ़ाएगा। ब्रिटानिया कर्मकार यूनियन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र जोशी ने एकता बनाने पर जोर दिया। सीपीआई के जिलामंत्री राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि शोषण के खिलाफ एकजुट संघर्ष ही रास्ता है।
मजदूर सहयोग केन्द्र के कुन्दन सिंह ने कहा कि आज मज़दूर आबादी की एकता कमजोर हुई है जिससे मालिक और ज्यादा हमलावर हुए हैं। सरकार और उसका पूरा अमला मालिकों की सेवा में एक टांग पर खड़ा है। मुकुल ने लम्बे संघर्षों के दौरान हासिल अधिकारों को छीने जाने की चर्चा करते हुए बताया कि मजदूर आबादी को नए व जुझारू संघर्ष के लिए कमर कसना होगा। पूँजी के मुस्तरका हमले को श्रम की एकजुट ताकत से जवाब देना होगा।
इस अवसर पर आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि मजदूरों की भारी आबादी आज बेहद मामूली दिहाड़ी पर 12-12 घण्टे खटने को मजबूर है। जहाँ भी मजदूरों ने हक की आवाज उठाई वहीं दमन शुरू हो जाता है। यूनियन बनाना अपराध बन गया है। प्रबन्धन जब चाहे मज़दूरों को निकाल देता है और श्रम विभाग से लेकर पुलिस व प्रशासन तक मालिकों की ही भाषा बोलते हैं।
पारले मजदूर संघ के प्रमोद तिवारी ने कहा कि पारले कम्पनी में साढ़े तीन साल पहले यूनियन बनी तभी से शोषण जारी है और अबतक करीब ढ़ाई सौ स्थाई-अस्थाई मज़दूर निकाले जा चुके हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और श्रम विभाग की प्रबन्धन के खिलाफ रिपोर्टों के बावजूद न्याय मिलने की जगह दमन ही बढ़ा है। स्थिति यह है कि ताजा माँगपत्र पर एएलसी महज ने एक वार्ता की खानापूर्ति करके फाइल डीएलसी कार्यालय भेज दी और डीएलसी ने डेढ़ माह बाद वार्ता की तिथि देकर अपनी पक्षधरता स्पष्ट कर दी है।
रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ के दरपान सिंह खाती ने कहा कि राॅकेट रिद्धि सिद्धि में विगत डेढ़ साल से माँगपत्र को लेकर औद्योगिक विवाद कायम है और प्रबन्धन तरह-तरह से श्रमिकों का उत्पीड़न कर रहा है। इसी क्रम में पिछले नौ माह से यूनियन पदाधिकारियों सहित 10 श्रमिकों का कथित जाँच के बहाने उत्पीड़न जारी है, चार श्रमिकों का विगत नौ माह से गेट बन्द है। माँगपत्र पर भी प्रबन्धन ने खामोशी बना रखी है।
मित्तर फाॅस्टनर कम्पनी के सुदर्शन कुमार शर्मा ने बताया कि वेतन बढ़ोत्तरी और न्यूनतम सुविधाओं की माँग करने पर प्रबन्धन ने अवैध रूप से चार श्रमिकों की सेवा समाप्त कर दी और दो श्रमिकों को निलम्बित कर दिया। पिछले एक पखवारे से पीडि़त श्रमिक न्याय के लिए कलक्ट्रेट परिसर में धरनारत हैं।
महेन्द्रा यूजिन/सीआईआई कम्पनी के श्रमिक प्रतिनिधि हेम चंद ने बताया कि श्रमिकों ने विगत साढ़े नौ माह पूर्व अपने वेतन व सुविधाओं के सम्बन्ध में माँगपत्र दिया तो वहाँ दमन बढ़ गया। श्रमिक प्रतिनिधियों सहित दो श्रमिकों का अवैध रूप से विगत नौ माह से गेट बन्द है। एएलसी एसडीएम केवल आश्वासन दे रहे हैं।
वोल्टास इम्पलाइज यूनियन के नन्दलाल ने कहा कि यूनियन विगत साढ़े छह माह से अपने माँगपत्र को लेकर संघर्षरत हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे में संयुक्त रूप से संघर्ष के लिए हमें आगे आना पड़ा है। आगे और भी कारखानों के मज़दूर एकजुट होंगे।
टाटा मोटर्स लि. श्रमिक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद आर्य ने समर्थन देते हुए कहा कि आज सभी कम्पनी के मजदूरों को एकजुट होने की जरूरत है, ऐसे में पाँच कम्पनियों के मजदूरों का यह सामुहिक धरना महत्वपूर्ण है जो हमारी एकता को और आगे बढ़ाएगा। ब्रिटानिया कर्मकार यूनियन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र जोशी ने एकता बनाने पर जोर दिया। सीपीआई के जिलामंत्री राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि शोषण के खिलाफ एकजुट संघर्ष ही रास्ता है।
मजदूर सहयोग केन्द्र के कुन्दन सिंह ने कहा कि आज मज़दूर आबादी की एकता कमजोर हुई है जिससे मालिक और ज्यादा हमलावर हुए हैं। सरकार और उसका पूरा अमला मालिकों की सेवा में एक टांग पर खड़ा है। मुकुल ने लम्बे संघर्षों के दौरान हासिल अधिकारों को छीने जाने की चर्चा करते हुए बताया कि मजदूर आबादी को नए व जुझारू संघर्ष के लिए कमर कसना होगा। पूँजी के मुस्तरका हमले को श्रम की एकजुट ताकत से जवाब देना होगा।
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