बुधवार, 19 सितंबर 2018

भगवान के घर में भी हो रही वर्कर्स की छंटनी

               ....    .....(देवेंद्र).......
पूंजीवाद सिर्फ कारखानों में ही छंटनी नहीं करवाता है, वरन मंदिरों में सेवादारों/वर्कर्स की संख्या में कटौती करवाता है, ताकि लागत कम की जा सके। आपको यह सुनकर आश्चर्य भले लगे, लेकिन थोड़ी देर के लिए अपनी आस्था को किनारे कर विवेक के दरवाजे खोल कर किसी बड़े मंदिर में पहुंच जाइए, आपको खुद सच्चाई नजर आ जाएगी। पहले मंदिर में आरती के समय मोहल्ले के लोग भजन-कीर्तन और घंटा घड़ियाल बजाने पहुंच जाते थे। तब पूंजीवाद इतना विकसित नहीं था। समाज में भी लोगों के पास समय था। इसलिए लोग मंदिर में पहुंच जाते थे। इतना ही नहीं तब त्योहारों में भी लोग खूब शिरकत करते थे। लेकिन, तब समाज पिछड़ा था। जाति-पांति, महिला पुरुष में भेदभाव भी ज्यादा था। बहरहाल, पूंजीवाद और विकसित हुआ तो उसने लोगों का काफी समय अपने लिए लेकर उन्हें अपना गुलाम बना लिया। समाज में अलगाव बढ़ा। अपनी संस्कृति से लोग कटे। सरकारी संस्थाओं को पूंजीपतियों को बेचा जाने लगा। कारखानों में छंटनी होने लगी। अब तो हमारे यहां का पूंजीपति योरोप अमेरिका के पूंजीपतियों को टक्कर दे रहा है। इसलिए हर जगह पूंजीपति कम से कम वर्कर्स से काम चला रहा है।
अब, मंदिरों में सुबह- शाम की आरती में पहुंचने के लिए  मोहल्ले के लोगों के पास समय नहीं होता है। मंदिरों में भी पैसे की भूख बढ़ी। इसलिए मंदिरों में पहले जो कर्मचारी भी रखे थे गये थे, उनकी भी छंटनी की जाने लगी। इन सबके बीच देश के ज्यादातर बड़े मंदिरों में घंटा आदि बजाने का काम धीरे-धीरे मशीनें करने लगीं। मंदिरों के शहर कहे जाने वाले जम्मू के ज्यादातर मंदिरों में मशीन ही घंटा, घड़ियाल आदि बजाती है। दूर से आरती के समय मंदिर से आती मधुर आवाज सुन कर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है कि यह काम मशीन कर रही है। वीडियो में जो मशीन आरती करवा रही है, वह जम्मू के कृष्णा नगर इलाक में रविदास मंदिर के बगल में स्थित भगवान शंकर के मंदिर की है। कभी इस मंदिर में भी भक्तों की भीड़ जुटती थी, लेकिन अब यहां भूले भटके ही भक्त आते हैं। लेकिन, मशीन की बदौलत आरती सुबह-शाम दोनों समय होती है। इसका कुछ न कुछ पुण्य मशीन को भी तो मिलेगा ही। या नहीं...राम जाने...
https://youtu.be/Jd4LkHebALI

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