संजय उपाघ्याय, देवेन्द्र प्रताप
कोठी की सुरक्षा में तैनात एक सुरक्षाकर्मी |
सेवा क्षेत्र किसी देश अथवा समाज के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 1991 के बाद से विश्व अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन की दृष्टि से इस क्षेत्र ने महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। हाल के कुछ वर्षों में इसकी विकास दर कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों के मुकाबले काफी ऊंची रही है। इस समय सेवा क्षेत्र कारपोरेट जगत के लिए बेहद आकर्षक निवेश का विकल्प बन चुका है। इसने आधारभूत संरचना सुविधाओं के सृजन को सुलभ बनाया है और विभि न्न उद्योगों की उत्पादकता में वृद्धि की है। सेवा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण घटक निजी सुरक्षा क्षेत्र है। सामान्य अनुमानों के अनुसार विश्व के विभि न्न देशों में सुरक्षा एवं गुप्तचर सेवा एजेंसियों की संख्या लगभग एक लाख है। विभि न्न स्रोतों के अनुसार इन सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से लगभग 2 करोड़ निजी सुरक्षा कार्मिक दुनिया भर में नियोजित हैं। उपलब्ध स्रोतों के अनुसार विश्व के केवल आठ देशों (भारत, जर्मनी, चीन, कनाडा, रूस, यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया तथा नाइजीरिया) में ही 60 हजार से अधिक निजी सुरक्षा सेवा एजेंसियां हैं, जिन्होंने लगभग 1.2 करोड़ निजी सुरक्षा कर्मियों को रोजगार प्रदान किया हुआ है। ये कार्मिक सुरक्षा गार्ड, सशस्त्र सुरक्षा गार्ड तथा सुरक्षा पर्यवेक्षक आदि के रूप में कार्यरत हैं।
तथ्य यह है कि वैश्विक स्तर पर निजी सुरक्षागार्ड की संख्या दुनिया में मौजूद पुलिस बल से काफी ज्यादा है और ये अपराधों की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन इसके बावजूद इस क्षेत्र में कहां-कहां कितनी सुरक्षा फर्में काम कर रही हैं, उन्होंने कितने कर्मियों को काम पर रखा हुआ है, आदि से संबंधित प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इसी प्रकार इस क्षेत्र के श्रम, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दे क्या हैं, जिनका सामना निजी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा रखे गए सुरक्षा कर्मियों को अक्सर करना पड़ता है, की तरफ कम से कम भारत के अध्येताओं और नीति निमार्ताओं ने पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। इसी कमी को पूरा करने के उद्देश्य से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की विभि न्न स्तरों की 40 सुरक्षा एजेंसियों को आधार बना कर वी0 वी0 गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान द्वारा हाल ही में एक अध्ययन किया गया।
जहां तक निजी सुरक्षा एजेंसियों की किस्मों/ श्रेणियों और उनके द्वारा काम पर रखे गए सुरक्षा कर्मियों की दशाओं और कार्य स्थितियों आदि का संबंध है, देश का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र इस संबंध में देश के लग•ाग सभी मुख्य महानगरों की विशेषताओं को अपने में समेटे हुए है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विभि न्न श्रेणियों की लगभग 500 सुरक्षा फर्मों ने 1.5 लाख के आसपास सुरक्षा कर्मियों को रोजगार प्रदान किया हुआ है। इन निजी सुरक्षा फर्मों में स्थानीय, राष्ट्रीय, तथा अंतर्राष्ट्रीय सभी स्तरों पर काम करने वाली सुरक्षा एजेंसियां शामिल हैं।
इन फर्मों द्वारा नियोजित सुरक्षाकर्मी सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों, काल सेंटर्स, निजी कंपनियों के निगमित कार्यालयों, राज्य सरकारों/ स्थानीय स्वशासन के नियंत्रणाधीन कार्यालयों, अस्पतालों, आवासीय सोसाइटियों/अपार्टमेंटों, निजी घरों, कोठियों, बैंकों, बीमा कंपनियों के कार्यालयों, मीडिया कार्यालयों, निर्माण स्थलों, धार्मिक स्थानों, पेट्रोल पंपों आदि पर अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। शोधकर्ताओं ने इन सभी स्थानों पर कार्यरत निजी सुरक्षा कर्मियों से बातचीत की। अध्ययन में मुख्य तौर पर सुरक्षाकर्मियों
के काम के घंटों, पारिश्रमिक, विभि न्न प्रकार के भत्तों, छुट्टियों, रोजगार सुरक्षा, उन पर लागू मुख्य श्रम कानूनों के उपबंधों के कार्यान्वयन तथा विभि न्न श्रम कानूनों के तहत अधिकारों की दृष्टि से सुरक्षा कर्मियों के बीच जागरूकता के स्तर पर आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया। एक मोटे अनुमान के अनुसार भारत में इस समय तकरीबन 15 हजार से अधिक सुरक्षा एजेंसी फर्मों में करीब 55 लाख से 60 लाख के बीच सुरक्षाकर्मी कार्यरत हैं। विभिन्न अनुमानों के अनुसार भारत में निजी सुरक्षा सेवा उद्योग प्रतिवर्ष 25-35 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है।
इस उद्योग का कारोबार लग•ाग 25 हजार से 30 हजार करोड़ रुपये के आसपास है। आकलनों से यह पता चलता है कि निजी कूरियर सेवा के साथ मिल कर निजी सेवा सुरक्षा उद्योग देश में सबसे बड़ा करदाता है। इन निजी सुरक्षा सेवा एजेंसियों द्वारा काम पर लगाए गए सुरक्षा कार्मिक (सुरक्षा गार्ड, सशस्त्र सुरक्षा गार्ड तथा सुरक्षा पर्यवेक्षक आदि) इन सुरक्षा सेवा एजेंसियों की कार्य प्रणाली में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन अध्ययन में पाया गया कि इन सुरक्षा कर्मियों को अपने सेवा काल के दौरान जीवन जोखिमों, सामाजिक सुरक्षा के अभाव और निम्न कार्यदशाओं आदि की दृष्टि से अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारत के अतिरिक्त कुछ अन्य देशों में, जहां पिछले कुछ दशकों से यह उद्योग लगातार फल फूल रहा है उनमें, जर्मनी, चीन, कनाडा, रूस, यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया तथा नाइजीरिया आदि देश शामिल हैं। अधिकांश देशों में निजी सुरक्षा कार्मिक, पुलिस बल से संख्या में अधिक हैं और कानून और व्यवस्था लगभग ऐसी भूमिका और कर्तव्य निभाने की आशा की जाती है, जो पुलिस की भूमिका और कर्तव्यों के समान हैं। भारत समेत अन्य देशों में निजी सुरक्षाकर्मी अपने जीवन में कमोवेश उसी प्रकार की चुनौतियों और खतरों का सामना करते हैं, जिनका सामना पुलिस को करना पड़ता है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कार्यरत अधिकांश निजी सुरक्षा कार्मिक प्रवासी युवा (19 से 40 वर्ष आयु समूह के बीच) शिक्षित, (हाई स्कूल तथा इससे उच्च स्तर की शैक्षिक योग्यता रखने वाले) तथा विवाहित हंै। अध्ययन में पाया गया कि आमतौर पर एक सुरक्षाकर्मी के ऊपर 4-5 लोग निर्भर होते हैं। इसके बावजूद अधिकांश सुरक्षा कर्मियो का वेतन और कुल पारिवारिक आय बहुत ही मामूली है। शोधकर्ताओं ने पाया कि उनकी वेतन की आय को मिला कर 5000-6000 रुपये प्रतिमास ही बैठती है। जाहिर है मंहगाई के इस जमाने में उनकी बचत न के बराबर होती है। बहुत कोशिश करने के बाद ही वे प्रतिमाह 500 रुपये से लेकर 1500 रुपया बचा पाते हैं। ज्यादातर सुरक्षाकर्मी हमेशा ही कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं। और यह भी तब है जबकि वे 12 घंटे की सामान्य ड्यूटी करते हैं और महीने में 8-10 ओवरटाइम करते हैं।
इन कार्यस्थितियों के बावजूद यह पाया गया कि अधिकांश सुरक्षा कर्मियों को निजी कंपनियां कोई नियुक्ति पत्र तक नहीं जारी करतीं। यह भी पता चला कि उनके पास निजी सुरक्षा एजेंसियों के किसी जिम्मेदार अधिकारी के हस्ताक्षर युक्त पहचान पत्र तक नहीं होता। कंपनी उनके लिए आमतौर पर कार्यस्थल पर शौचालय और पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं करवाती। ज्यादातर सुरक्षा कर्मी इन सुरक्षा कंपनियों में इस उम्मीद से नौकरी की शुरुआत करते हैं कि उनकी जिन्दगी में सुधार आएगा, लेकिन होता यह है कि वे एक एजेंसी से दूसरी एजेंसी को अपनी बेहतरी की उम्मीद के साथ बदलते रहते हैं, लेकिन उनकी आशाएं कभी-कभी फलीभूत नहीं हो पातीं। उनमें से अधिकांश सुरक्षा कर्मियों को न तो न्यूनतम मजदूरी मिलती है और न किए गए ओवर टाइम के लिए ओवर टाइम दर से वेतन। इतना ही नहीं, उन्हें इतनी लम्बी ड्यूटी अवधि के दौरान खाने का •ाी समय नहीं मिलता। कई-कई सालों तक उनका वेतन पहले के समान बना रहता है और उनको पदोन्नति (तरक्की) का मौका नहीं मिलता। अधिकांश निजी सुरक्षा कार्मियों को साल में पूरे 365 दिनों तक काम करना पड़ता है और इस दौरान उन्हें आकस्मिक अवकाश जैसी कोई छुट्टी तक नहीं मिलती। इनमें से बहुतों को होली, दीवाली, ईद या क्रिसमस आदि महत्वपूर्ण त्योहारों और राष्ट्रीय अवकाश के दिन भी छुट्टी नहीं मिलती। इतना ही नहीं अधिकांश सुरक्षा कर्मियों को संबंधित एजेंसी द्वारा भर्ती के समय और बाद में भी उनको दी जाने वाली वर्दी के लिए अपने वेतन से भुगतान करना पड़ता है।
बहुत से सुरक्षा कर्मियों को भविष्य निधि(पी.एफ.) और कर्मचारी राज्य बीमा (ई.एस.आई) के लिए अपने हिस्से के अभिदाय का भुगतान करने के साथ-साथ इस मद में नियोजकों के हिस्से का भुगतान भी करना पड़ता है। इस तरह अधिकांश निजी सुरक्षा एजेंसियां विभि न्न गैर कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करके इन सुरक्षाकर्मियों की बदौलत भारी मुनाफा कमाती हैं। शोधकर्ताओं ने इस मामले में सरकार को सुझाव दिया है कि वे सुरक्षाकर्मियों
को नियुक्ति पत्र दिलवाने, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम और मजदूरी भुगतान अधिनियम से संबंधित कानूनों के प्रावधानों को लागू करवाने, ओवर टाइम कार्य और ओवर टाइम की दरों के मामले को सख्ती से लागू किए जाने जैसे कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। अगर सरकार इन सुझावों पर गौर करती है, तो पूरी संभावना है कि इन सुरक्षाकर्मियों को भी संविधान प्रदत्त वे बुनियादी अधिकार हासिल हो सकेंगे, जो कि किसी भी मेहनतकश को मिलना ही चाहिए।
(संजय उपाध्याय वी0 वी0 गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान में फैलो हैं, जबकि देवेन्द्र प्रताप अमर उजाला जम्मू में वरिष्ठ उपसंपादक हैं. वी वी गिरी से इस शोध को संजय उपाध्याय के निर्देशन और देवेन्द्र प्रताप के सहयोग से २००९ में किया गया. संपर्क: देवेंद्र प्रताप 8717079765, devhills@gmail.com)
हैरान करते हैं आंकड़े ..... इन लोगों का जीवन तो अक्सर घर से दूर नीरस और तकलीफदेह ही देखा है ..... विचारणीय पोस्ट
जवाब देंहटाएंYou are right madem ji
हटाएंसही बात है मैं भी गार्ड हूं और मेरा वेतन ₹16000 रुपए है जो मेरे खाते में आता भी है उसके बाद ठेकेदार उसमें का आधा पैसा निकलवा कर वापस मांग लेता है और यह जानकारी जिस संस्था में कार्यरत हूं उस संस्था प्रमुख को भी अच्छी तरह से पता है किंतु मात्र कुछ पैसों के लिए वह भी बिक गया है और हमारे संस्था में जितने भी गार्ड हैं उनका भरपूर रूप से चारों तरफ से शोषण शोषण हो रहा है ऐसा मेरे साथ हो रहा है और पहले भी हुआ है परंतु पैसे वाले ठेकेदारों एवं सरकारी कर्मचारियों अधिकारी यो की मिलीभगत के वजह से भारत देश के प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड का शोषण हो रहा है इस पोस्ट के माध्यम से यह कहना चाहूंगा की हमें या हम सबको भ्रष्टाचार के खिलाफ शक्ति से खड़ा रहना चाहिए ताकि कोई भ्रष्टाचार ना कर सके परंतु एक व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता
हटाएंneed recognition as well as security
जवाब देंहटाएंBahut hi bure haal hai .Inke sarkaar ko inke fayde ke liye koi alg kadam utana chaiye ..
जवाब देंहटाएंBahut hi bure haal hai .Inke sarkaar ko inke fayde ke liye koi alg kadam utana chaiye ..
जवाब देंहटाएंहर सिक्योरिटी गार्ड का शोषण हो रहा है और कैसे आप कांटेक्ट करना मेरे से तो बताऊंगा
जवाब देंहटाएंठेकेदार तो मालामाल हो रहे हैं दोनों तरफ से पैसा कमा रहे हैं सिक्योरिटी गार्ड के वेतन से भी पैसा ले रहे हैं और सिक्योरिटी गार्ड इसका विरोध करता है तो उसको नौकरी से हाथ धोना पड़ता है और बेरोजगारी कितनी है कि कोई भी हो वह तो और कम सैलरी में काम करने को तैयार हो जाता है अगर आपने कुछ कर सकते हो तो प्लीज करो
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