गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019
मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019
बर्फबारी में फंसी गर्भवती महिला की जान
⛑⛑⛑⛑(इस खबर का वीडियो देखने के लिए दिए गये लिंक पर क्लिक करें)⛑⛑⛑⛑
पुंछ जिले की मंडी तहसील के डन्ना गांव की रहने वाली महिला को प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिवार के लोग पांच फुट बर्फबारी में पांच किलोमीटर तक महिला को कंधे पर बैठा कर लोरन स्थित स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। जिन लोगों के पास हमारे प्रधानमंत्री की तरह का 56 इंच का सीना नहीं है, उनको शायद पता न हो कि एलओसी से सटे इलाकों में डॉक्टर नदारद हैं। हमारे प्रधानमंत्री का दिमाग तो शायद उनके 56 इंच के सीने में ही है, इसीलिए उनको सब पता रहता है। उनकी बुद्धि जीएसटी, फसल बीमा योजना, राफेल डील के साथ पाकिस्तान को सबक सिखाने में भी नजर आती है। उनकी बुद्धि का ही कमाल है कि बार्डर से सटे इलाके कमोवेश डॉक्टर विहीन हो गए हैं। शायद उनको लगता है कि यहां के लोग इतने मजबूत हैं कि उनका पाकिस्तान या कोई बीमारी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। शायद वे महिलाओं को भी इतना मजबूत मानते हैं कि वे प्रसव पीड़ा को झेल कर बहुत आसानी से बच्चे को जन्म दे सकती हैं। वैसे आपको दाद देनी होगी कि भले ही उन्होंने शादी न की हो लेकिन वे इस विषय पर भी कमाल की बुद्धि रखते हैं।
बहरहाल, वापस विषय पर आते हैं। जब गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाया गया तो वहां डॉक्टर तो था नहीं। एक अदद स्टाफ ही था। उसने महिला के परिवार वालों को नेक सलाह दी कि वे बिना देर किए उसे मंडी उपजिला अस्पताल ले जाएं, जो वहां से करीब 15 किलोमीटर पड़ता है। अब सोचिए उस परिवार पर क्या बीती होगी, जो पांच फुट बर्फ में पांच किलोमीटर तक गर्भवती महिला को कंधे पर बैठा कर और उसे ठंड से बचाते हुए अस्पताल पहुंचा था। आखिरकार उन्होंने पुलिस को फोन किया और समस्या बताई। पुलिस ने तुरंत मंडी में पीडब्ल्यूडी मेकेनिकल विंग के कार्यपालक इंजीनियर कमल ज्योति शर्मा को फोन कर मदद करने की अपील की। इंजीनियर तुरंत अपना वाहन निकाला और एक स्नोकटर मशीन को अपने वाहन के आगे लगाया। आगे-आगे मशीन बर्फ हटाते हुए आगे बढ़ रही थी और पीछे-पीछे इंजीनियर शर्मा चल रहे थे। दरअसल सारी बर्फ हटाने वाली सारी मशीनें दूरदराज के इलाकों में बर्फ हटाने के काम में लगाई गई थीं। ऐसे में इंजीनियर को एक स्नोकटर मशीन मिली। उन्होंने पहले सोचा कि मंडी से वे बर्फ हटवाते हुए लोरन पहुंचेंगे और उसे अपनी गाड़ी में बैठा कर मंडी उपजिला अस्पताल लेकर आएंगे। इसी बीच उन्हें ध्यान आया कि एक स्नोफ्लोवर मशीन लोरन में भी तैनात की गई है। उन्होंने आगे बढ़ते हुए स्नोफ्लोवर मशीन के चालक को फोन लगाया। फोन नहीं मिला। फिर मिलाया और मिलाते रहे। क्योंकि उनको लग रहा था कि महिला को प्रसव पीड़ा हो रही है, ऐसे में कहीं ज्यादा समय न लग जाए। आखिरकार फोन चालक को लग गया। उन्होंने चालक को महिला को लेकर मंडी की तरफ रवाना होने को कहा और खुद भी उधर बढ़ते रहे। चालक ने स्नोफ्लोवर मशीन की केबिन में गर्भवती महिला और उसके परिवार के सदस्यों को बैठाया और आगे की 15 किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़ा। पूरे रास्ते पांच फुट बर्फ जमा थी, ऐसे में वह मशीन से बर्फ हटाते हुए आगे बढ़ रहा था। उधर इंजीनियर साहब भी लोरन की तरफ बर्फ हटाते हुए बढ़ रहे थे। आखिरकार स्नोफ्लोवर मशीन का चालक ने गर्भवती महिला और पूरी सलामती के साथ अस्पताल पहुंचाने में सफल रहा। इस तरह उसने बड़ी विकट परिस्थिति में गर्भवती महिला और उसके बच्चे की जान बचाई। यदि इसी तरह से सभी विभागों के कर्मचारी और अधिकारी काम करें तो जनता की कितनी समस्या हल हो सकती है। इसके लिए इंजीनियर और स्नोफ्लोवर मशीन के जज्बे और नेक इरादे को सलाम।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)