शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

क्षेत्रीय दलों की आय-व्यय का विश्लेषण (वित्त वर्ष 2015-16)

2015-16 में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए अपने आय-व्यय के व्योरे का एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने विश्लेषण किया है। सभी राजनीतिक दलों को 31 अक्तूबर तक अपने आय-व्यय के व्योरे का हिसाब चुनाव आयोग को देना था। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने सबसे पहले 11 जून 2016 को अपने आय-व्यय का हिसाब -किताब चुनाव आयोग को सौंप दिया। वहीं, राजनीति में सुचिता का दम भरने वाली आम आदमी पार्टी ने सबसे बाद में 13 जुलाई 2017 को अपना हिसाब जमा करवाया। इस साल 47 क्षेत्रीय दलों में से केवल एक तिहाई दलों ने ही अपना आडिट रिकार्ड तय समय सीमा के अंतर्गत चुनाव आयोग में जमा करवाया है। 16 क्षेत्रीय दलों ने अपनी आडिट रिपोर्ट तय समय सीमा से 22 दिनों से लेकर 8 माह के विलंब से जमा किया। इसमें से 15 क्षेत्रीय दलों ने अभी तक अपनी आडिट रिपोर्ट नहीं जमा की है। इनमें से कुछ प्रमुख दल भी हैं-एसपी, जेकेएनसी, आरजेडी, आईएनएलडी, एआईएनआरसी, एआईयूडीएफ, एजेएसयू और एमजीपी।
2015-16 में 32 क्षेत्रीय दलों ने अपनी कुल आय रु 221.48 करोड़ घोषित की है। इस दौरान उन्होंने अपना कुल खर्च रु 111.48 करोड़ दर्शाया है। इस आय का 49.67 प्रतिशत यानी रु 110 करोड़ रुपये इन दलों द्वारा खर्च नहीं किया गया है। इसमें 14 क्षेत्रीय दलों ने अपना खर्च अपनी कुल आय से अधिक दर्शाया है। इनमें से 3 दलों (जेडीएम-पी, जेडीयू और आरएलडी ने अपना खर्च आय से 200 प्रतिशत अधिक बताया है। डीएमके, एआईडीएमके और एआईएमआईएम ने अपनी आय का 80 प्रतिशत खर्च नहीं किया है। सभी क्षेत्रीय दलों में से सबसे अधिक आय डीएमके ने रु 77.63 करोड़, इसके बाद एआईएडीएमके ने 54.938 करोड़ रुपये और टीडीपी ने 15.978 करोड़ घोषित किया है। शीर्ष तीन दलों की सम्मिलत आय 32 क्षेत्रीय दलों की कुल आय से 67 प्रतिशत अधिक है। 

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