देवेन्द्र प्रताप
सांसदों को सरकार की ओर से बेचे गए जब्तशुदा हथियारों के बारे में आरटीआई कार्यकर्ता अमरीष पांडे द्वारा मांगी गई सूचना ने हर संवेदनशील और वतन से प्रेम करने वो व्यक्ति को अंदर से झकझोर कर रख दिया है। कस्टम की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना के अध्ययन से ऐसा लगता है कि माननीयों को या तो सरकार की ओर से दी जाने वाली सुरक्षा पर भरोसा नहीं रह गया है या फिर सरकार माननीयों को हथियारबंद करने पर तुली हुई है। जो भी हो हमारे देश के माननीयों में फिलहाल खुद को हथियारबंद करने की होड़ सी मची हुई है। वह भी ऐसे वैसे हथियारों से नहीं, बल्कि खतरनाक कोटि के हथियारों से। वर्ष 2002 में इन जब्तशुदा हथियारों के बारे में लिए गए एक नीतिगत निर्णय के अनुसार इन हथियारों को सिर्फ सांसदों को ही बेचा जा सकता है। सांसदों को बेचे जाने वाले इन हथियारों में कुछ हथियार ऐसे हैं, जो ‘खतरनाक’ कोटि में रखे गए हैं। जनप्रतिनिधियों को लेकर मतदाताओं को जागरूक करने वाले संगठन एडीआर के अनुसार 1987 से 2012 के बीच वीआपी और सांसदों को कुल 756 ऐसे हथियार बेचे गए। इसी तरह 1987 से 2001 के बीच इन्हें 675 हथियार बेचे गए, इनमें से 39 हथियार 2001 से 2004 के बीच, जबकि 42 हथियार 2005 से 2012 के दरमियान बेचे गए। 2001 से 2012 के बीच 82 माननीयों ने सरकार से अपनी सुरक्षा के नाम पर हथियार खरीदे। इनमें से 18 ऐसे सांसद हैं, जिनके ऊपर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण समेत विभिन्न आपराधिक धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि जब ये सांसद का चुनाव लड़ रहे थे, तब भी इनके ऊपर इस तरह के आपराधिक मुकदमे चल रहे थे, लेकिन मतदाताओं ने इन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुना। सबसे ज्यादा आश्चर्य तो तब होता है, जबकि सरकार ने यह जानते हुए भी कि इन माननीयों के ऊपर आपराधिक श्रेणी के मुकदमे चल रहे हैं, लेकिन उसने इसकी परवाह किए बिना माननीयों को हथियार बेचा।
इन माननीयों में से उ.प्र. के सांसद अतीक अहमद के ऊपर आपराधिक धाराओं में तकरीबन 44 मुकदमे दर्ज हैं। इसी तरह महाराष्ट्र के अबू आजिम और उ.प्र. के राकेश सचान के ऊपर हत्या और अपहरण जैसे संगीन अपराधों के सात मुकदमे चल रहे हैं। इसके बावजूद सरकार ने इन माननीयों को हथियारों की बिक्री की। कस्टम विभाग ने माननीयों को हथियारों की बिक्री ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर की। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि शुरुआत में ये हथियार बाजार दर से भी बेहद कम कीमत पर बेचे गए। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर सरकार अपने सांसदों के आचरण को ठीक करने के बजाय, कहीं उसे बढ़ावा तो नहीं दे रही है?
सांसदों को बेचे गए कुछ ‘खतरनाक’ कोटि के हथियारों की बिक्री वित्त मंत्रालय के आदेश के बिना नहीं की जा सकती। एक तरफ सांसदों को सरकार इस तरह हथियारबंद कर रही है, वहीं दूसरी ओर अगर जनता के पास हथियार रखने का लाइसेंस है भी, तब भी उसे आत्मरक्षा के लिए इन हथियारों को खरीदने का कोई अधिकार नहीं। भी ही उसका आचरण कितना भी साफ-सुथरा क्यों न हो। आखिर जनता द्वारा चुनी गई सरकार के इस दोहरे व्यवहार की वजह क्या है?
हथियारों की खरीद करने वाले जाने-माने सांसद
सय्यद शहाबुद्दीन, जयंती नटराजन, अकबर अहमद डंपी, मार्गरेट अल्वा, विनय कटियार, उमा भारती, जगदीश टाइटलर, एसएस अहलूवालिया, विनय गोयल, बीरभद्र प्रताप सिंह, भूपिंदर सिंह हूडा, योगी आदित्यनाथ, केपी सिंह देव, स्वामी योगानंद, एमएस गिल (पूर्व सीईसी, ये उस समय सांसद नहीं थे), विनय कुमार मल्होत्रा, सतपाल सिंह यादव (दो से ज्यादा बंदूकें), विनोद खन्ना, अरुण सिंह, कल्याण सिंह, मदन लाल खुराना, सय्यद शाहनवाज हुसैन, वसुंधरा राजे सिंधिया, सीके जाफर शरीफ, जितेंद्र प्रसाद, कल्याण सिंह कल्वी, शिबू सोरेन, मो. शहाबुद्दीन, मायावती, माधवराव सिंधिया, राशिद अल्वी, दिग्विजय सिंह, कमल मोरारका, अबू आजमी, रेनुका चौधरी, भानु प्रताप सिंह, अतीक अहमद, तस्लीमुद्दीन, बाबूलाल मरांडी आदि।
कुछ गंभीर सवाल
माननीयों को सरकार की ओर से हथियारों की बिक्री करने पर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े होते हैं--जबकि सभी सांसदों को पहले ही सुरक्षा गार्ड उपलब्ध हैं, तो ऐसे में उन्हें जब्तशुदा हथियारों को बेचने का तुक क्या है?
-जबकि कई सांसदों, जिनमें से 13 के ऊपर गंभीर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें हथियार क्यों बेचे गए?
-हथियारों की बिक्री के मामले में एक सामान्य नागरिक के साथ भेदभाव क्यों, जबकि उसने अपनी सुरक्षा के लिए हथियार रखने का लाइसेंस भी ले रखा हो। वैसे भी उसे सरकार की ओर से कोई सुरक्षा भी नहीं उपलब्ध करवाई जाती।
-आखिर सांसदों और वीआईपी लोगों को ऐसे खतरनाक कोटि के (आटोमेटिक और सेमी आटोमेटिक) क्यों बेचे गए है? जबकि, सभी जानते हैं कि इस तरह के हथियार या तो सेना करती है या फिर आतंकवादी और अतिवादी संगठन।
सांसद/वीआईपी हथियार खरीद तिथि कीमत
अतीक अहमद (सांसद, यूपी) रगर राइफल, एम 77 मार्क 11, 30.06एमएम782-22893 08.12.2006 3,15,000
अबू असीम आजमी (सांसद, महाराष्ट्र) 9एमएम पिस्टल, पीपीके,380 बोर 156987 03.10.2005 30,0000
राकेश सचान (सांसद, यूपी) पी बेरेट्टा पिस्टल 04.06.2010 21,0000
अफजल अंसारी (सांसद, यूपी) 32 बोर पिस्टल 14.12.2004 15,0000
ब्रिजेश पाठक (सांसद, यूपी) 7.65 एमएम सीजेच पिस्टल 047251 16.06.2005 80,000
कपिल स्वामी रगर रिवाल्वर, .357 मैग्नम 12.04.2012 95,000
राजेश पांडे एस एंड डब्ल्यू रिवाल्वर, कार्ल.-.44 एलआर 28.11.2001 10,0000
आरके सिंह पटेल ब्राउनिंग पिस्टल, .32 बोर 21.03.2012 21,5000
धर्मराज सिंह .32 रिवाल्वर 21.05.2002 23,800
एस. सैदुज्जमान 7.65एमएम, वाल्टर पिस्टल 22.12.2003 10,0000
यशवीर सिंह कार्ल वाल्दर पिस्टल 9 एमएम कुर्ज 24.05.2010 21,5000
बब्बन राज•ार 30.6 राइफल 21.11.2001 56,392
प्यारेलाल शंखवार .22 बोर रिवाल्वर 04.12.2002 7835
त्रि•ाुवन दत्त .32 बोर रिवाल्वर 31.03.2003 70060
राशिद अल्वी 7.65 एमएम वाल्दर पिस्टल 28.11.2003 10,0000
श्रीप्रकाश जायसवाल 7.65एमएम वाल्दर पिस्टल 16.07.2004 1,30,000
योगानंद शास्त्री .32 एस एंड डब्ल्यू रिवाल्वार, एस.नं. बीएमए 6714 15.04.2005 14,000
कीर्तिवर्धन सिंह कार्ल वाल्दर .380 बोर, पीपीके/एस, 9एमएम कुर्ज, 156949 19.04.2005 30,0000
जनार्दन द्विवेदी .32 एस एंड डब्ल्यू रिवाल्वर, एस. नं. एच 135724 07.08.2005 145000
राजेश कुमार मिश्रा 7.65 एमएम कार्ल वाल्दर पिस्टल, पीपीके 184004 20.10.2005 175000
शैलेंद्र कुमार एस एंड डब्ल्यू रिवाल्वर 07.02.2010 270000
टीआर प्रसाद 7.65एमएम पिस्टल 21.10.2002 62,445
जानकारी परक आलेख है, शुक्रिया
जवाब देंहटाएं