बुधवार, 11 मई 2011

अपने ही बनाए कानून को तोड़ रहा है फेसबुक
देवेन्द्र प्रताप
पूंजीवाद कैसे खुद अपने ही बनाए कानूनों को तोड़ता है, इसका एक जीता-जागता उदाहरण फेसबुक है। फेसबुक के नियमों के मुताबिक इसका इस्तेमाल नाबालिकों के लिए प्रतिबंधित है। इस नियम के बावजूद हकीकत यह है नाबालिक बच्चे इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिका में हुए एक सर्वे के मुताबिक इस समय पूरी दुनिया में करीब 50 करोड़ लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से फेसबुक के 75 लाख उपभोक्ता 13 साल से कम उम्र के हैं। अमेरिका में उपभोक्ताओं से जुडेÞ मामलों के प्रकाशक कंज्यूमर रिपोर्ट ने एक सर्वेक्षण के आधार पर कहा है कि वर्ष 2010 में फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले करीब दो करोड़ नाबालिग बच्चों में से लगभग 75 लाख बच्चों की उम्र 13 साल से कम है। इसमें से भी करीब 50 लाख से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं, जिनकी उम्र 10 साल या इससे भी कम है। फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर बच्चे अमेरिका और यूरोप के ही हैं। सबको पता है कि यूरोपीय और अमेरिकी समाजों में समाज में एलिएनेशन सबसे ज्यादा है। यही वजह है कि लोग अपने बच्चों के ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। परिवार के ज्यादातर सदस्यों के कामकाजी होने के कारण, उनके पास बच्चों के लिए समय नहीं है, नतीजा बच्चे टीवी या सोशल नेटवर्किंग साइटों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। जरा सोचिए ये बच्चे फेसबुक पर क्या करते होंगे? इंटरनेट की दुनिया से परिचित किसी भी व्यक्ति के लिए इन फेसबुकिया बच्चों की मन:स्थिति को समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है। कंज्यूमर रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल दस लाख बच्चे साइबर अपराध के विभिन्न मामलों के शिकार बने। सर्वेक्षण के मुताबिक, केवल 18 फीसदी अभिभावकों ने अपने बच्चों निगाह रखने के लिए उन्हें फेसबुक पर अपना मित्र बनाया है। दिक्कत यह है कि अगर माता-पिता अपने बच्चों को फेसबुक से दूर भी रखना चाहें, तो उन्हें यह वेबसाइट कोई मदद नहीं देती है। ऐसे में उस कानून का क्या मतलब है, जो नाबालिकों को फेसबुक के इस्तेमाल से रोकता है।

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