tag:blogger.com,1999:blog-2264830081803709796.post6440922624892266384..comments2023-04-11T09:31:05.704-07:00Comments on 100 flowers: मैडम की जूती, साहब के सरDevendra Prataphttp://www.blogger.com/profile/04058854873119577592noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2264830081803709796.post-55730810235926040102013-07-05T10:15:36.905-07:002013-07-05T10:15:36.905-07:00कब्जा करना तो इनका जन्मसिद्ध अधिकार बन चुका है। मे...कब्जा करना तो इनका जन्मसिद्ध अधिकार बन चुका है। मेरे स्वामित्व में निकलने वाले अखबार ‘आह्वान’ पर कात्यायनी पुत्र अभिनव ने कब्जा कर लिया और डा. दूधनाथ के अखबार ‘बिगुल’ पर खुद कात्यायनी ने कुण्डली मार ली। साथी विश्वनाथ मिश्र से ‘दायित्वबोध’ हड़पने का भी प्रयास हुआ था। मैं तब संगठन में था और कात्यायनी की बहन मीनाक्षी के नाम इसे करने की कोशिश मुझे बीच में करके हुई थी। कुछ कागज तो अभी भी मेरे पास हैं।<br />अब यह कुनबा ‘दायित्वबोध’ से विमुख हो ‘नान्दीपाठ’ में जुटा है। लगता है कि इनका ‘भरतवाक्य’ लिखना पड़ेगा। -आदेश सिंह<br />Aadesh Singhnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2264830081803709796.post-1186088602102878052013-07-05T10:04:00.623-07:002013-07-05T10:04:00.623-07:00मुकुल जी, राहुल फाउण्डेशन का मैं भी तो संस्थापक सद...मुकुल जी, राहुल फाउण्डेशन का मैं भी तो संस्थापक सदस्य रहा। आपतो प्रमुख भागीदार रहे हैं। 1993-94 में फाउण्डेशन ने धनउगाही के लिए संरक्षक सदस्य का फार्मुला पेश किया। इसके लिए 1000 रुपये देने वाले संरक्षक सदस्यको को संस्था की गतिविधियों की नियमित रिपोर्टिंग, सुझाव-परामर्श लेने के साथ ही आजीवन ‘दायित्वबोध’ पत्रिका देने की घोषणा हुई थी। मैने भी खूब मेहनत से काम किया। हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के दर्जनों वकीलों, जिनमें ज़फरयाब जिलानी, एस.के. कालिया, मुस्ताक अहमद सिद्धिकी, इरफान अहमद, असित चतुर्वेदी, डा. एम.एस. मुर्तजा आदि शामिल थे, से मैंने भी एक-एक हजार रुपए वसूले। रिपोर्टिंग तो दूर, किसी को एक दो अंक के बाद दायित्वबोध तक नहीं दी गई।<br />मानहानि और धोखाधड़ी का मुक़दमा तो कात्यायनी एण्ड कम्पनी पर ठोंकना चाहिए।<br />-चन्द्रमोहन शुक्ला एडवोकेट<br />C.M.Shukala Adv.noreply@blogger.com