रविवार, 9 अप्रैल 2017

मारुति के मज़दूरों को दुनिया भर से मिल रहा समर्थन

इस समय जबकि पूरी दुनिया में फासिस्‍ट सत्ताएं मजबूत हो रही हैं, वहीं, साम्राज्यवाद को कब्र में ढकेलना वाला मजदूर वर्ग भी दुनियाभर में अपने बिरादर भाइयों की एकता को मजबूत रहने लगा है। अब भविष्य साफ दिख रहा है समाजवाद या बर्बरता। एक बार फिर पुरजोर ढंग से यह सवाल सबके सामने उठने लगा है, तय करो किस ओर हो तुम? यूपी में समाजवाद शब्द को सरकारी योजनाओ से हटाकर पूंजीवाद का कट्टर सेवक बाबा अपना गाल बजा रहा है। वैसे जिस समाजवाद को हटाया गया है उसकी तो लोहिया, मुलायम और चुनावी रास्ते को अपना चुकी लाल झंडे वाली पार्टियां पहले ही हत्या कर चुकी हैं। बीसवीं सदी में जो समाजवादी सत्ताएं अस्तित्व में आईं, आज भी वे दुनिया के मजदूर वर्ग में यह उम्मीद जगा रही हैं कि पूंजीवाद अजर अमर नहीं है। उसे हराया जा सकता है। इतिहास इसका भी गवाह है कि वह मजदूर वर्ग ही था जिसने न सिर्फ दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह हिटलर की ताकत को धूल में मिटा दिया वरन उसे आत्महत्या तक करनी पड़ी। दुनिया में आज जिस तरह से फासिस्ट सत्ताएं अस्तित्व में आ रही हैं, उसने न चाहते हुए भी फिर से सोए हुए शेर को जगा दिया है। मजदूर वर्ग फिर से खुद को झाड़ पोंछ कर खड़ा हो रहा है। एक बार फिर मजदूर वर्ग अपनी विचारधारा पर पड़ी धूल राख को साफ कर और अपनी गलतियों से सबक लेने की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है। नए दौर में पूंजीवाद के खिलाफ और समाजवाद लाने के लिए लड़ी जाने वाली फैसलाकुन जंग में भारत का मजदूर वर्ग भी पीछे नहीं है। जो लोग आज फासिस्ट सत्ताओं के अट्टहास में अपनी अक्‍ल गिरवी रख चुके हैं, उनमें से ज्यादातर मध्यवर्ग से हैं। मीडिया में सारा कोलाहल इसी रीढ़विहीन वर्ग का है। इसमें कुछ चालाक भी हैं, जो प्रगतिशीलता का लबादा ओढ़े हुए हैं। उन्होंने ऐसा माहौल बना दिया है, जिसमें मजदूर वर्ग के संघर्ष के लिए कोई जगह नहीं है। इन मीडिया घरानों को जिनकी जूठन मिलती है उसे वे कभी नहीं छोड़ सकते। ऐसे में मजदूर वर्ग को खुद अपने अखबार पत्रिकाएं निकालनी होंगी। प्रचार के और नए तरीके खोजने होंगे। मारुति मज़दूरों की रिहाई व कार्यबहाली को लेकर दो दिवसीय विरोध के तहत 5 अप्रैल को देश के विभिन्न हिस्सों व दुनिया के कई देशों में आवाज बुलन्द हुई। लखनऊ में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों व आल इण्डिया वर्कर्स काउन्सिल के नेतृत्व में मारुति मज़दूरों के समर्थन में हजरतगंज में गांधी मूर्ति के सामने प्रदर्शन व सभा हुई। सभा में मारुति के उम्र क़ैद की अन्यायपूर्ण सजा पाए 13 श्रमिकों की बिना शर्त रिहाई, 3-4 साल तक जेल में बन्दी के बाद बेकसूर साबित 117 मज़दूरों के मुआवजे व सभी मज़दूरों की कार्यबहाली की मांग के साथ ट्रेड यूनियन अधिकार पर हमले बन्द करने व ठेका-संविदा प्रथा बन्द करने की मांग उठी। शामिल संगठनों ने इस मुहिम को देशव्यापी रूप से चलाने का एलान किया। गुड़गांव में गुरुग्राम कोर्ट द्वारा मारुति के 13 श्रमिकों को आजीवन कारावास सहित अन्यायपूर्ण फैसले के खिलाफ देश की 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर ट्रेड यूनियन काउंसिल गुड़गांव-रेवाड़ी ने कमला नेहरू पार्क में रैली निकाली। इसमें आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, सीआईटीयू, एचएमएस, रीको धरूहेड़ा, हीरोमोटो, मारुति मजदूर संघ के लोग शामिल हुए। जोरदार प्रदर्शन के साथ मांग की गई कि सजायाफ्ता मारूति मजदूरों को तुरंत रिहा किया जाए। बाइज्जत बरी किए गए 117 मजदूरों सहित 18 अप्रैल 2012 से मारूति कंपनी से निकाले गए 2500 के करीब स्थाई व अस्थाई वर्कर्स को दोबारा काम पर रखवाया जाए तथा उन्हें इस बीच गुजरे समय का पूरा मुआवजा दिलवाया जाए। तथा उत्पीड़न में शामिल मारूति कंपनी प्रबंधन, प्रशासनिक मशीनरी के खिलाफ कार्यवाही करने, ठेका प्रथा को पूरे तौर पर खत्म करने, समान काम-समान वेतन के बारे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की अविलम्ब अनुपालन करने, ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले बंद करने व श्रम कानूनों में संशोधन वापिस लेने की मांग उठी। केन्द्रीय ट्रेड यूनियन दिल्ली, जयपुर, सिरसा, रोहतक, करनाल, भिवानी आदि स्थानों पर भी प्रदर्शन किया। पंजाब में वि​भिन्न ट्रेड यूनियनों, मज़दूर संगठनों और जन संगठनों ने लुधियाना के डी सी ऑफिस के सामने मारुति मज़दूरों के समर्थन में सामूहिक कार्यक्रम और विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ। दिल्ली में 5 अप्रैल को नेशनल हॉकर फेडरेशन दिल्ली ने जंतर मंतर पर दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद व दिल्ली पुलिस के अत्याचारों के खिलाफ प्रचंड विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया व मारुती के 13 आंदोलनकारियों की सजा के खिलाफ भी आवाज उठाई और साथ ही मांग रखी कि उन सभी 13 लोगों को रिहा किया जाए और उन पर जो भी झूठे मुकदमे लगाए गए है उन्हें वापस ले और बाकी 117 कर्मचारियों सहित सभी बर्खास्त कर्मचारियों को काम पर वापस लिया जाए। इस सन्दर्भ में प्रधान मंत्री, श्रम मंत्री और गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा। नारे लगे-जेल के ताले टूटेंगें, हमारे साथी छूटेंगे! फुटपाथ दुकानदार जिंदाबाद! मजदूर एकता जिंदाबाद! नेशनल हॉकर फेडरेशन जिंदाबाद! आध्र प्रदेश के कुर्नूल में 4 अप्रैल को पीओपी, एदटीयूआई, पीएडीएस द्वारा मारुति मज़दूरों के समर्थन में सामूहिक प्रदर्शन हुए। जबकि कन्याकुमारी में 4 अप्रैल को प्रतिवाद सभा हुई। हैदराबाद में आईएफटीयू के साथियों द्वारा प्रदर्शन किया गया। मुम्बई में टीयूसीआई व ट्रेड यूनियनों के संयुक्त प्लेटफार्म द्वारा मारुति मज़दूरों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ। इतना ही नहीं विदेशों में भी मारुति के मजदूरों को समर्थन मिला है। फ्रांस में मारुति मज़दूरों के समर्थन में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस पर फ्रांस के ड्रिक्स शहर में प्रेस कांफ्रेंस हुई। फ्रांस के पेरिस में 4 अप्रैल को अंतराष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस पर प्रदर्शन हुए। वहीं हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में मारुति मज़दूरों के समर्थन में 4 अप्रैल को अंतराष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस के रूप में मनाते हुए प्रदर्शन हुआ। इन प्रदर्शनों को गिनाने का मकसद यही था कि आज यदि हर तरफ पूंजीवाद फासिज्म के रूप में नजर आ रहा है, तो उसे मौत की नींद सुलाने वाला वर्ग भी आ चुका है। और उसने अपनी ताकत का एहसास भी करवाना शुरू कर दिया है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें