गुरुवार, 16 मार्च 2017

घाटी में फिर से पत्रकारों पर टूटा पुलिस का कहर

पत्रकारों के लिए घाटी में काम कर पाना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है। वे आतंकवाद और सुरक्षाबलों के बीच पिसते रहते हैं। वीरवार को श्रीनगर के हैदरपोरा स्थित हुर्रियत नेता सैयद अली के घर के बाहर पुलिस ने जिस तरह से पत्रकारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा वह अब घाटी में आम बात हो गई है। श्रीनगर के हैदरपोरा में हुर्रियत नेता सैयद अली शाल गिलानी के आवास पर अन्य हुर्रियत नेताओं मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को कवर कर रहे प्रेस फोटो ग्राफरों पर वीरवार को फिर से पुलिस का कहर टूटा। पुलिस ने पत्रकारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पुलिस की इस दमनात्मक कार्रवाई के बाद कश्मीर प्रेस फोटोग्राफर्स एसोसिएशन (केपीपीए) ने एक आपात मीटिंग बुलाकर कड़ी निंदा की है। पुलिस की इस कार्रवाई में एएफपी के फोटो जर्नलिस्ट तौसीफ मुस्तफा, ग्रेटर कश्मीर अखबार के मुबस्सिर खान समेत कई पत्रकार घायल हुए हैं। केपीपीए के जनरल सेक्रेटरी के मुताबिक पुलिस ने एएफपी के फोटोजर्नलिस्ट का गला दबाया,जिससे उनको सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। उन्होंने बताया कि उनके पास सबूत के तौर पर पुलिस की इस कार्रवाई का वीडियो और फोटो भी है। उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं पुलिस के रक्षक वाहन के ड्राइवर ने जहां फोटो जर्नलिस्ट खड़े थे उनकी तरफ वाहन को दौड़ा दिया। वाहन के नीचे आने से बचने के लिए फोटो जर्नलिस्ट इधर-उधर भागने लगे। वाहन से कुचलकर ग्रेटर कश्मीर के फोटो जर्नलिस्ट खान का पैर कुचल गया। डीएनए के इमरान निसार के साथ भी पुलिस ने गालीगलौज और धक्कामुक्की की। यूरोपियन फोटो एजेंसी के फोटो जर्ललिस्ट फारूक जावेद खान, इंडियन एक्सप्रेस के एस मसूदी और टाइम्स नाऊ के फोटो जर्नलिस्ट उमर शेख पुलिस की पिटाई में बुरी तरह घायल हुए हैं। केपीपीए के बयान में कहा गया है कि डीओ ने फोटो जर्नलिस्टों को धमकी देते हुए कहा कि वे एसओजी से हैं और उनकी हत्या से भी नहीं हिचकेंगे। पुलिस की पिटाई में डीएनए के इमरान निसार भी बुरी तरह जख्मी हुए हैं। इसके खिलाफ केपीपीए ने श्रीनगर के प्रेस्‍ा क्लब में प्रदर्शन किया और डीओ हुमहामा और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस घटना के खिलाफ देश के पूरी पत्रकार बिरादरी से शनिवार को होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है। कश्मीर एडिटर्स गिल्ड (केएडी) ने भी फोटो जर्नलिस्टों के साथ की गई पुलिसिया बर्बरता का विरोध किया है। केएडी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सैयद अली शाह गिलानी के आवास से जब तीनों नेता बाहर आए तो बाहर पत्रकार इंतजार कर रहे थे। जैसे ही वे बाहर आए तो पुलिस उनको गिरफ्तार करने लगी। फोटो जर्नलिस्टों ने तुरंत फोटो खींचना शुरू कर दिया। इसके बाद वहां मौजूद पुलिस ने पत्रकारों पर हमला बोल दिया। केएडी की तरफ से इसकी घोर निंदा करते हुए कहा गया है कि यह देश का दुर्भाग्य है कि प्रेस वालों के साथ घाटी में इस तरह का व्यवहार आम बात हो गई है। इसके पहले बिजबिहाड़ा में एक सुरक्षाकर्मी की तरह से गोली चलाने से एक प्रेसकर्मी कई हफ्तों तक टूटे हाथ के साथ अस्पताल में भर्ती रहा। हुर्रियत एम ने भी इसे प्रेस और लोकतंत्र पर हमला करार दिया है।

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