मंगलवार, 10 मई 2011

श्रीमती अंबिका सोनी
सूचना एवं प्रसारण मंत्री, भारत सरकार
नई दिल्ली
मैं आपका ध्यान टेलीविजन चैनलों पर चल रहे “सुरक्षा कवच” कार्यक्रमों की तरफ ले जाना चाहता हूं। हमारे देश में हमेशा से अंधविश्वास को बेचने की प्रथा रही है, पहले पंडे-पाखंडी बेचते थे अब आधुनिक पंडे (चैनल वाले) बेच रहे हैं। हर चैनल पर या तो राशिफल वाले मिलेंगे या फिर चैनल के एंकर आपको किसी आपदा की भविष्यवाणी करते दिखाई देंगे। लगता है कि लगभग चैनल अंधविश्वास की इस मंडी में जितना माल बेच सकता है बेच रहा है। पहले जो काम सड़क, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और सरकारी अस्पतालों के बाहर बैठनें वाले ढोंगी बाबा करते थे वो काम अब भव्य ग्राफिक्स और टेलीकॉलिंग के ज़रिए चुके हुए टीवी कलाकार और चैनल कर रहे हैं। टीवी चैनल अपने 24 घंटे के रनडाउन में से आधे-आधे घंटे के चंक के हिसाब से कम से कम 5 घंटे ऐसे कार्यक्रमों को देता है। टेलीशॉपिंग का कॉन्सेप्ट भी टेलीविजन के विकास के साथ आगे बढ़ता गया है। दूरदर्शन के समय में भी दोपहर में टेली होम शॉपिंग कार्यक्रम आता था जिसमें आप फोन करके घर में उपयोग कि जानें वाली वस्तुऐं जैसे, जूसर-मिक्सर, नॉन स्टिक बर्तन, बिजली वाल टोस्टर, वैक्यूम क्लीनर, टू-इन-वन स्टिरियो आदि मंगवा सकते थे। पहले जरूरतों में वस्तुओं को खोजा गया फिर जैसे-जैसे चैनल बढ़ने लगे, विदेशों की तर्ज़ पर वस्तुओं में जरूरतों को पैदा किया गया। सन् 2000 के बाद से होम शॉपिंग का कॉन्सेप्ट वही रहा वस्तुएं बदली तो ऐसी बदली कि बस!
ब्लडप्रेशर कम करनें की मैगनैटिक माला हो या कमर दर्द कम करनें वाला गद्दा, मोटापा कम करनें वाली सोना स्लिम बेल्ट हो या रंग गोरा करनें वाला रूप अमृत। सबने कहीं ना कहीं इस तथाकथित मध्यम वर्ग में अपना-अपना बाज़ार बनाया और चैनलों के साथ-साथ लाभ कमाया। पहले इन विज्ञापनों की फिल्में भी भारत में नही बनती थी। आपने देखा होगा कि विदेशी लोगों पर कैसे फर्राटे से हिंदी चिपका दी जाती थी और वो अपने सोफा-कम-बेड और सोना स्लिम बेल्ट से होने वाले लाभों का बखान करते। भारतीय मानसिकता गोरे रंग वालों के प्रभाव से कितना मुक्त हो पाई है आपको ज्यादा पता है। धीरे-धीरे होम शॉपिंग के कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसारण टीवी चैनलों पर मोटापा कम करने, गंजापन कम करने, लंबाई बढ़ाने और इंगलिश सीखानें वाले उत्पादों ने ले लिया था अब सोना स्लिम बेल्ट, रूप अमृत(गोरेपन के लिए) और ऐबरोलर(पेट कम करने) के विज्ञापन भारत में ही शूट होनें लगे । 2005 के आते-आते टीवी चैनलों की संख्या बढ़ी। टीवी न्यूज़ चैनलों ने भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए कथित टीआरपी के लिए अपने दर्शकों को भूत-प्रेत और जादू-टोना ख़ूब जमकर बेचा।(हालांकि यह मामला केवल टीआरपी का नहीं है। अपनी सांस्कृतिक जमीन बेचने का मामला है।) पता नहीं कहां-कहां से किवदंतियों पर कई प्रोफाइल पैकेज चलाए।चैनलों ने समझा दिया कि भूत-प्रेत और शनिदेव से डरा कर टीआरपी का मीटर घुमाया जाता है। इसका बाज़ार पर भी गज़ब प्रभाव पड़ा और जो कंपनी कल सोना स्लिम बेल्ट और रूप अमृत बनाती थी अब वो नज़र रक्षा कवच, धन लक्ष्मी कवच, बाधामुक्ति कवच, कुबेर कुंजी, शिव परिवार, महाधनलक्ष्मी पैंडेंट, एक मुखी रूद्राक्ष और शनि कवच जैसे ना जानें कितने उत्पाद टीवी पर बेचते है। शुरुआत में ऐसे कार्यक्रम रात 12 बजे के बाद से सुबह 8 बजे तक हर आधे घंटे के अंतराल में प्रासारित किए जाते थे। कुछ चैनल इनके प्रसारण के समय विज्ञापन लिखा एक बग दिखाते थे लेकिन अब तो अधिकतर चैनल ऐसा नहीं करते। हालांकि चैनल ऐसे कार्यक्रमों से पहले डिस्क्लेमर देता है कि “इस कार्यक्रम में दिखाई गई किसी भी साम्रगी से चैनल का कोई लेन-देना नहीं है”।लेकिन आपको ज्यादा पता है कि डिस्कलेमर कितना पढ़ने और सुनाने के लायक प्रस्तुत किया जाता है। डिस्कलेमर केवल कानून की तकनीकी जरूरतों को पूरा करता है ताकि सरकार ये दावा कर सके कि चैनल कानून के मुताबिक काम करते हैं। आजकल टीवी पर किसी भी समय, किसी भी चैनल पर आपको फिल्मी दुनिया से चूका कोई चेहरा दिखाई देता है और शनि कवच की ख़ूबी बताने लगता है, रति अग्निहोत्री, मुकेश खन्ना, अरुण गोविल, हिमानी शिवपुरी, आलोक नाथ जैसे कुछ ऐसे नाम है जिन्हें किसी ज़मानें में आप जानते होंगे लेकिन आजकल ये शनिबाबा कवच और नजर रक्षा यंत्र बेचते दिखते हैं। आपके घर में क्लेश, परीक्षा में पास ना होना, व्यापार में घाटा होना, बच्चा ना होना, धन लाभ ना होना, किसी की नज़र लगना, जंतर-मतंर जादू-टोना सबका एक ही तरीके का इलाज अलग-अलग पैकिंग और अलग-अलग भाव में केवल एक फोन पर उपलब्ध है। क्या न्यूज़ चैनल, क्या कथित मनोरंजन चैनल, क्या फिल्म या कार्टून के चैनल सभी पर समाज में अंधविश्वास को बढ़ाने वाले इन उत्पादों के विज्ञापन धड्ल्ले से प्रसारित होते है। आप शाम को 5 बजे के बाद से और सुबह 10 तक किसी भी समय 30 मिनट के इस विज्ञापन को लगभग किसी भी टीवी चैनल पर देख सकते है।चैनलों का नया नामकरण “ के “ चैनल हुआ है। पहले तीन सी चलता था अब एक के सारे चैनलों के कार्यक्रमों का विषय हैं।
सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अनुसार ऐसे विज्ञापन जिनमें अपने उत्पाद के चमत्कारीय और आलौकिक प्रभावों का बखान हो वे केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 के विज्ञापन कोड के नियम 7(5) का उल्लंघन करते है। सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा टीवी चैनलों की प्रसारण सामग्री पर नज़र रखनें वाली संस्था इलैक्ट्रोनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर हर महीनें लगभग सैंकड़ों की तादात में ऐसे विज्ञापनों की वॉएलेशन रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपता होगा । लेकिन फिर भी समाज में अंधविश्वास को बढ़ाना देनें वाले इन विज्ञापनों और इस प्रकार की प्रसारण सामग्री पर सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय किसी भी प्रकार का अंकुश नहीं लगा पाया है।क्या सरकार की सहमति से इस तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं ?आखिर भारतीय समाज में वैज्ञानिक नजरिया विकसित करने के बजाय समाज की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। बाज़ार में इसी प्रकार के अन्य उत्पाद एक के बाद एक आ रहे है। पहले नज़र रक्षा कवच था फिर शनि कवच, धन लक्ष्मी कवच, नवरत्न अंगूठी, कुबेर कुंजी, शिव परिवार, बाधा मुक्ति कवच...पता नहीं क्या-क्या? कोई 3500रु. में तो कोई 2250 में, किसी के साथ एक मुखी रुद्राक्ष फ्री तो किसी के साथ अभिमंत्रित लोबाण,भस्म,सिंदूर,त्रिशूल और राई फ्री।
हम आपसे मांग करते हैं कि चैनलों को जो इस तरह से छूट दी जा रही है वो तत्काल वापस ली जानी चाहिए और उनके खिलाफ केबल एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।
आपका
अनिल चमड़िया

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