रविवार, 3 अप्रैल 2011

विकीलीक्स के बहाने एक बहस

भोपाल गैस त्रासदी:ज़िम्मेदार नहीं डाओ कैमिकल्स?

खुफ़िया दस्तावेज़ जारी करने वाली वेबसाइट विकिलीक्स के के ज़रिए भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण कूटनीतिक जानकारियां सामने आई हैं. भारतीय समाचार पत्र ‘द हिंदू’ में छपी इन जानकारियों के मुताबिक अमरीका की ओर से दबाव के चलते भारत सरकार ने अमरीका को यह संकेत दिए थे कि वो किसी भी रुप में भोपाल गैस त्रासदी के लिए अमरीकी कंपनी ‘डाओ कैमिकल्स’ को जवाबदेह नहीं मानती. विकीलीक्स पर सार्वजनिक की गई यह जानकारी एक अमरीकी राजनयिक के अपनी सरकार को भेजे संदेश पर आधारित है.

'डाओ कैमिकल्स का स्वागत है'

'भारत सरकार के कुछ नुमाइंदे जिनमें वाणिज्य मंत्री कमलनाथ के अलावा योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया शामिल हैं, ने कहा था कि वो डाओ कैमिकल्स की ओर से भारत में निवेश का स्वागत करते हैं. वो यह नहीं मानते कि डाओ कैमिकल्स घटनास्थल के पुर्नस्थापन के लिए किसी भी रुप में ज़िम्मेदार है.- विकीलीक्स

ग़ौरतलब है कि 1984 को यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखाने में हुए गैस रिसाव से 15 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी. भोपाल में हुई इस त्रासदी को पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना माना जाता है. यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी को एक दूसरी अमरीकी कंपनी डाओ केमिकल्स द्वारा ख़रीदे जाने के बाद यह मामला उठा कि चूँकि यह कंपनी अब यूनियन कार्बाइड की मालिक है इसलिए उसके ख़िलाफ़ केस चलाया जाए और उस पर मुआवज़े की ज़िम्मेदारी हो. भारत में मौजूद अमरीकी राजनयिकों की ओर से 23 जुलाई 2007 से 27 जुलाई 2007 के बीच जारी किए गए इन संदेशों के मुताबिक, ''भारत सरकार के कुछ नुमाइंदे जिनमें वाणिज्य मंत्री कमलनाथ के अलावा योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया शामिल हैं, ने कहा था कि वो डाओ कैमिकल्स की ओर से भारत में निवेश का स्वागत करते हैं. वो यह नहीं मानते कि डाओ कैमिकल्स घटनास्थल के पुर्नस्थापन के लिए किसी भी रुप में ज़िम्मेदार है.''

दस्तावेज़ों के मुताबिक अहलुवालिया ने कहा था कि इस मामले को लेकर स्वंयसेवी संस्थाएं बेहद सक्रिय हैं और सरकार के लिए इस मामले में डाओ कैमिकल्स को पूरी तरह क्लीन चिट देना मुश्किल होगा. इस संदेश के मुताबिक, नई दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास इस मामले को सुलाझाने के लिए दबाव बनाता रहेगा, क्योंकि भारत सरकार ने यह संकेत दिए हैं कि अमरीका और भारत के आर्थिक संबंध द्विपक्षीय संबंधों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.

'न्यायिक मामलों को बंद करें'

इन संदेशों के मुताबिक अमरीकी राजदूत डेविड मल्फर्ड ने भारत सरकार से कहा था कि वो डाओ कैमिकल्स के ख़िलाफ़ न्यायिक मामलों को बंद कर दे. दस्तावेज़ों के मुताबिक इसके जवाब में मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा था कि अमरीकी कंपनी ‘डाओ कैमिकल्स’ की यह चिंता बेबुनियाद है कि भविष्य में उस पर न्यायिक मामला चलाया जा सकता है. क्योंकि भारत सरकार तीसरे पक्ष की ओर से दिए जाने वाले मुआवज़े के प्रावधान के तहत ‘डाओ कैमिकल्स’ को ज़िम्मेदार नहीं मानती.दस्तावेज़ों के मुताबिक अहलुवालिया ने कहा था कि इस मामले को लेकर स्वंयसेवी संस्थाएं बेहद सक्रिय हैं और सरकार के लिए इस मामले में डाओ कैमिकल्स को पूरी तरह क्लीन चिट देना मुश्किल होगा. इन संदेशों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य भी यह चाहते थे कि ‘डाओ कैमिकल्स’ पश्चिम बंगाल में निवेश करे.

प्रस्तुति : देवेन्द्र प्रताप
मोबाइल नंबर - 08909982424

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